रविवार, 9 नवंबर 2014

गुलज़ार / अख़बार

अख़बार के तीसरे पन्ने पर ...हर रोज जब देखता हूं ..!
मरने वालो की तस्वीरें ....  कुछ देर मैं ढूँढता रहता
हू ..मेरी भी तस्वीर है ..क्या.?
बेसूहा हूं .. अब .. एहसास नही होता ...  की साँस आती है, जाती है, चलती भी है,... के... नही,..~~
अख़बार के पहले पन्ने पर ... बस अदाद ही गिनता हूं,..!गिनती ही देखता हूं, ... आज के दिन फिर कितने मरे, ... आज का स्कोर क्या है, ... बेसूहा हूं, .. एहसास नही होता .. की साँस चलती भी है ... की .. नही ..!

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