शनिवार, 13 जून 2015

विजेंद्र शर्मा के दोहे...

1-जब तक भीतर आँख के ,आंसू की है शान !
जैसे लुढ़के गाल पे ,मिट जाए पहचान !!

2-पलकों की दीवार में , किये ग़मों ने छेद !...
आंसू निकले आँख से , खोल गए सब भेद!!..

3-मिला उन्हें भी पद्म श्री , जिनके ऐसे काम
सुबह करें चमचागिरी ,मक्खनबाजी शाम

4-खाते बहियाँ खोलकर , करने लगी हिसाब !.
कैसी है तू ज़िन्दगी , तेरा नहीं  जवाब !!.

5-रोते ना तो और फिर ,क्या करते जज़्बात
उसने ही जब अनसुनी ,कर दी मेरी बात

6-इक सच बोला और फिर ,देखा ऐसा हाल
कुछ ने नज़रें फेर ली ,कुछ की आँखे लाल

7-सुन झूटी तारीफ़ हम ,चढ़े चने के झाड़
पर भीतर से खामियां ,हमको रही लताड़

8-कर झूठी तारीफ़ फिर ,लोग ले रहे स्वाद !
भोली भाली शायरा , समझ रही है दाद !!

फेसबुक की हक़ीक़त...

9-तब कासा था  हाथ में ,अब दौलत में हाथ !
तब मुझसे सब दूर थे , अब  मेरे सब साथ !!

10-कंगूरे छाये रहे , उनकी थी तादाद
ऐसे में बुनियाद की , आती किसको याद

11-चीख उठे जब ख़ामुशी ,हिलने लगे पहाड़
सुनी नहीं है आपने ,चुप की कभी दहाड़


12-दरिया ने इक रोज़ क्या , कर ली मीठी बात
क़तरा तो उस रोज़ से , भूल गया औक़ात


13रैला हो सैलाब का , या सूखे की मार
ज़मीं समझ ही कब सकी ,पानी का किरदार

14-चुभने को चुभते रहे , भले शूल ही शूल !
बना लिए इक बार जो ,तोड़े नहीं उसूल !!

15जीवन के आकाश में ,हम तो हुए पतंग
डोर किसी के हाथ में ,उड़े किसी के संग

16-दरिया तेरा दायरा ,बढ़ तो गया ज़रूर
मगर किनारे हो गए ,पहले से भी दूर

17-कभी फ़क़ीरों के यहाँ , जाता था दरबार ....
और कलंदर आज के , जाते  हैं  दरबार ....

18-खाते बहियाँ खोल कर ,करने लगी हिसाब !
कैसी है तू ज़िन्दगी , तेरा नहीं जवाब !!

19-लाख छुपाऊं मैं सखी , खुल जावे है राज़ !....
नैन करें हैं मुखबिरी , ये ना आवे बाज़  !!.....

20-उम्मीदों पर वो खरा ,उतरा होता काश !
ढोनी ना पड़ती हमे , उम्मीदों की लाश !!

21-जब  मन के आकाश  में , घुमड़े  अहसासात !
तब मन ने मन से कहा , लिख दे मन की  बात !!

22-सबको कहाँ नसीब है ,ये शुहरत की धूप
हल्का हो किरदार तो ,झुलस जाय है रूप

23-ऐसे दिन भी आ गए , किन करमों के  लेख !......
चूहा बोले शेर से , मुझे छेड़ के देख !!......

24-इसी ज़मी पर हैं लिखे , कुदरत ने आलेख !
हरा भरा हो जायगा ,इनको पढ़कर देख !!

पर्यावरण दिवस पे ..

25-खुद से भी करते नहीं ,अब हम कोई बात !....
तेरे जाते आ गया ,जीवन में निर्वात !!....

26-देना  है तो दे ख़ुदा , ऐसा हमे मिज़ाज !
खुद्दारी सर पर रहे , ठोकर में हो ताज !!

27-कैसा तेरा मैक़दा , इसका अजब निज़ाम !....
झूम रहे हैं रिन्द सब ,बिन सागर बिन जाम !!...

28-जब भी मैं तन्हा हुआ ,वो ही आया काम !
था रिश्तों की भीड़ में ,जो रिश्ता बेनाम !!

29-ऐसे दिन भी आ गए , किन करमों के  लेख !......
चूहा बोले शेर से , मुझे छेड़ के देख !!......

30-बिना तुम्हारे इस तरह ,गुज़र रहे लम्हात !...
सन्नाटे से गुफ़्तगू ,सारी सारी रात !!...

31-वो मेरे अहसास में ,ऐसे हुआ शरीक !...
बात मुझे जो चुभ गयी , उसे लगी वो ठीक !!.....

32-सीधा सा है रास्ता ,कहीं नहीं है मोड़ ! ....
जब उससे है इश्क़ तो ,दुनियादारी छोड़ !! ...

33-तह तक जाकर आ गए , तभी हुआ अहसास !
कभी समन्दर से नहीं , बुझी किसी की प्यास !!

34-खुशबू तेरे फेर में ,जाता रहा रुआब  !
चिन्दी चिन्दी हो गया ,अच्छा भला गुलाब !!

35-काँप रही है ये ज़मी ,और आसमाँ मौन !
पता नहीं पाताल से , इसे हिलावे  कौन !!

36-फ़लक नापने को गए ,बनकर के शाहीन !.....
आये जब वो लौट कर ,लगी न हाथ ज़मीन !!....

37-सर पर माँ का हाथ है ,क्या दूँ और सुबूत !
मुझको लिए बगैर ही ,लौट गए यमदूत !!
Mothers day

38-रत्तीभर बेटे बहू ,  रखते नहीं लगाव !....
पर अम्मा थकती नहीं , करते करते चाव !!...
Mothers day

39-रिश्तों का आँगन कभी , कर जाता हद पार !....
एहतियात की इस लिए ,लाज़िम है दीवार !!....

40-कौन वज़ह से आ गया , आदत से तू बाज़ ! ..
बहुत दिनों से यार तू  , हुआ नहीं नाराज़ !! ...

41-कोई अपने दे गया ,सपने हमे उधार !
आँखों ने फिर नींद का, कर्ज़ा दिया उतार !!

42-रोते ना तो और फिर ,क्या करते जज़्बात
तुमने ही जब अनसुनी ,कर दी मेरी बात

43-अब उससे रिश्ता नहीं , फिर भी आवे याद !.....
ज़ख्म भले ही भर गए , सूखी नहीं मवाद !!...

44-पहले तो कहता रहा , बड़ी बहन हैं आप !...
फिर भइया के आ गया , इक दिन मन में पाप !!...

45-ज्यूँ मुरझाई फस्ल में ,  जान डाल दे खाद !...
हरा – भरा  सा कर गयी ,मुझको तेरी याद !!....

46-तकिया है बस हाथ का ,बिस्तर है फूटपाथ
क्यों ना आये नींद जब ,मेहनत सोये साथ

47-ग़ज़लों के भी अक्स में , दोहों की तस्वीर ! ...
आँखें तो हैं  "मीर" की , "मीरा" के हैं नीर !!.......

48-कभी फ़क़ीरों के यहाँ , जाता था दरबार ....
खड़े कलंदर आज के , दरबारों के द्वार  ....

49-दिल न लगा जो शहर में , आया अपने गाँव !
बाट जोहती ही मिली , पगडंडी पर छाँव !!

50-तेरी यादों के सिवा ,ये सब भी है  पास !
राखदान सिगरट धुंआ ,बोतल और गिलास !!

51-दो मंज़र ....
किसना राम किसान की, फसल पडी बीमार !
किशन लाल जी  सेठ के  ,नोटों का अम्बार !!

52-टूकड़ों पर तुम हिन्द के ,पाक तुम्हारी जान !
पाक तुम्हारी जान तो ,जाओ पाकिस्तान !!

53-दुःख ने सुख से ये कहा ,  कैसी तेरी ज़ात ! ..
भूल जाय है वो खुदा , तू हो जिसके साथ !! ...

54-आंधी थी वो ज़ुल्म की , बुझते रहे चराग़ !
बैसाखी को याद है , जलियांवाला बाग़ !!


जलियावाला बाग़ के शहीदों को नमन ..

55-अब तो नागिन सा हुआ ,बीवी  का व्यवहार  !....
रिश्तों की नैया भला  ,कहाँ लगेगी  पार !!....

56-साहिल से नाराज़गी , लहरों से मतभेद !
दरिया करना पार है , भले नाव में छेद !!

57-कभी बरसते मेघ से ,दिल की बातें बोल !...
भीग ज़रा बरसात में ,छाते को मत खोल !!...

58-ऐसा ही है  दौर ये , ऐसे इसके तौर !
जुर्म किया है और ने  ,फसे बेचारा और !!

59-गड़ी हुई ईमान की , निकले कैसे कील !
तबादले होते रहे , हम न हुए तबदील !!

60-देने वाले कौन हैं , लेने वाले कौन !
इनआमों  की बाँट पे , लेकिन सब है मौन !!

61-मेरे भीतर क्या छिपा, इसे  कभी तो भांप !
तू चन्दन के पेड़ सी , मैं ज़हरीला सांप !!

62-एक मरज है फेसबुक ,पालो  मत ये रोग !
इश्तेहार से हो गए , इस पर आकर लोग !!

63-सूने सूने रास्ते ,पसरी पसरी रेत !
गीले गीले नैन हैं , सूखे सूखे खेत !!
         
राजस्थान दिवस मुबारक ....

64-तब तो हमको सौंप दी ,जब था तेज़ बहाव !..
पहुँच किनारे हो गयी ,किसी और की नाव !!..

65-पत्थर तक बुनियाद के , घर से दिए निकाल !...
उस घर का अल्ला मिंया ,क्या होगा अब हाल !..

आप पार्टी का हाल ....

66-रोना क्या है हार पर ,जश्न मनाओ यार !
कल से फिर पैनी करो , हथियारों की धार !!

67-आसमान में उड़ गयी , होते ही आज़ाद !...
फिर देखे जो बाज़ तो , पिंजरा आया याद !!..

68-भारत माँ को शूल सा , चुभता यही सवाल !...
क्यों पैदा होते नहीं , भगत सिंह से लाल !!....

नमन शहीदों को ...

69-भले  क़लम दे हाथ में , या दे दे तलवार !
मौला इनकी तू मगर , पैनी रखियो धार !!

70-पापा मेरी चाँद को ,छूने की है चाह !
दिन है खेलन के अभी , मत कर मेरो ब्याह !!

71-पार किया जो तैर कर , कौन बड़ी है बात !
पता चले है डूब कर , दरिया की औक़ात !!

72-दुनिया है रफ़्तार की , खरगोशों का दौर !
किस्सों तक ही ठीक है , कछुए वाले तौर !!

73-क़लम उठाने का कभी , किया नहीं है काम !...
 मगर क़लम के नाम पर,  मिले बहुत इनआम !! .....

74-कोई अपने दे गया , सपने हमे उधार !...
आँखों ने फिर नींद का , कर्ज़ा दिया उतार !!...

75-छुड़ा लिए हैं रंग सब , धोकर अपने  अंग !..
 दिल पर जो तू मल गया , वो ना उतरा रंग ! ..

76-हैरत में थे यार सब ,  दुश्मन भी था दंग !...
मैंने उसके गाल पर , लगा दिया जब रंग !!...

रंगों का त्यौहार होली आपको मुबारक हो .....

77-अपने अधरों से अगर , तुम जो कर दो लाल ! ...
कसम लगे इस जन्म में  ,जो हम धो लें गाल !! ...

78-रंग मिला ना वक़्त पर , ना ही मिला गुलाल !...
फिर अधरों से रंग दिए ,मैंने उसके गाल !!..

79-होली का तो  तब मज़ा ,ना हो रंग गुलाल !...
इधर हमारे होंठ हो, उधर तुम्हारे गाल !!...

80-इंतज़ार  के  रंग में ,   गयी   बावरी   डूब  !
होली पर इसबार भी , आया  ना  महबूब   !!

 81-आँखों को भी है गिला , करें शिकायत गाल !...
बैरी ख़ुद आया नहीं ,भिजवा दिया गुलाल !!...

82-इश्तेहार तक हम हुए , और हमीं दीवार ! ...
तब जाकर चलने लगा , अपना कारोबार !!..

83-मौक़ा था पर यार ने , डाला नहीं गुलाल !..
मुरझाये से ही रहे ,  मेरे  दोनों  गाल !!..

84-घटा बड़ी घनघोर थी, पिया नहीं थे साथ !
अंगड़ाई की ख़्वाहिशें , भटकी सारी रात !!

85-तन्हाई की बारिशें,भले ठोक ले ताल !..
पास हमारे आपकी , यादों की तिरपाल !!...

86-सुनता कौन ग़रीब की , थमी नहीं बरसात !
टप टप करती झोंपड़ी , रोयी सारी रात !!

87-क्या क्या छोड़ें ये बता , क्या क्या कर दें बंद !
क्या क्या तुझे पसंद है , क्या क्या नहीं पसंद !!

88-दुनिया की ये रीत है , या कोई संजोग !....
बैठे मेरी ताक़ में ,मेरे अपने लोग !!....


89-दुनिया के तो सामने , गिरी नहीं दस्तार !...
पर अपनी औलाद से , हार गये हम यार !!...

90-लोग दूध से कर रहे ,शंकर का अभिषेक !
मंदिर के बाहर खड़ा , भूखा बच्चा एक  !!

महाशिवरात्री की शुभ कामनाएं ....

91-प्रेम दिवस है बावरी , आजा कर लें प्रीत !....
जीवन का सुर प्रेम है , और प्रेम संगीत !....

Happy valentine ...

92-गला तमन्ना का भला ,कैसे देता घोंट !...
मैंने उसके होंट पर , रख डाले फिर होंट

Happy kiss day ...

93-सच हो जाए स्वप्न ये ,नित्य करूँ ये जाप !
    तेरे अधरों से करें , मेरे अधर मिलाप !!

Happy. ...Kiss....    day ....

94-उसकी बाँहो में अगर ,मिल जाए इक शाम !...
फिर चाहें लिख दीजिये , दोज़ख मेरे नाम !!.....

Happy hug Day

95-वादा दोनों ने किया ,जीना मरना साथ !
कहीं जिस्म नीला हुआ ,कहीं प पीले हाथ !! .''.

Happy promise Day

96-बड़े बुज़ुर्गों का नहीं ,जिस घर में सम्मान !
उस घर की फिर देख लो ,ऐसे जाती शान !!

97-मुझसे लेकर रौशनी , कमा रहा है नाम !...
सूरज पर ये  धर दिया , जुगनू ने इल्ज़ाम !!....

98-सुर का था वो बादशा , ग़ज़लों का था मीत !
जब तक जीवित सुर रहे,अमर रहे जगजीत !!

.ग़ज़ल सम्राट.जगजीत सिंह ...जन्म दिन मुबारक हो

99-महक रहा है आज तक , सूखा हुआ गुलाब ! ...
पर उसने इक बार भी , खोली नहीं किताब !!..

Happy rose🌹 day

100-तन्हाई की बारिशें , भले ठोक ले ताल !...
पास हमारे आपकी, यादों की तिरपाल !...

101-भारी पत्थर इश्क़ है , कहते थे ये "मीर" !
चलो उठा के देख लें ,आगे फिर तक़दीर !!

102-वादा दोनों ने किया , जीना मरना साथ!
कहीं जिस्म नीला हुआ , कहीं प पीले  हाथ !!

103-यूँ तो है बाज़ार में ,  हर शै की दूकान !
मगर किसी दूकान पर , मिले नहीं मुस्कान !....

104-आओ इसके कान में , फूंकें कोई मन्त्र !
इक मुद्दत से सो रहा ,अपना ये गणतंत्र !!

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ....

105-राजनीति   के भेडिये ,  रोज़   करें   षड्यंत्र !
और खड़ा लाचार सा , देख रहा गणतंत्र !!

106-देखा जायेगा  मिंया , खुदा करेगा ख़ैर !....
पानी में रहना हमे  , और मगर से बैर !!..

107-सुना गया अपनी कथा ,पतझड़ वाला संत !....
चल दरवाज़ा खोल दे , बाहर खड़ा बसंत !! ..

108-जिसकी ख़ातिर ओढ़ ली , हमने यार ! ज़मीन !
उसको  आया  ही  नहीं , हम पर   कभी  यक़ीन !!

109-दिल में उसकी याद है, आँखों में है नीर !
यार ! हमारे पास है , बहुत बड़ी जागीर !!

110-कभी निकलती ही नहीं , इतना लेना सोच !....
जब रिश्तों के पाँव में , पड़ जाती है मोच !....

111-अब तो खलने लग गया ,पत्तों का भी शोर !
मन कहता है चल कहीं , सन्नाटे की ओर !!

112-धूल ज़रा सी क्या उड़ी, साँसे उखड़ी तेज़ !  ....
मिटटी ही करने लगी , मिटटी से परहेज़ !! ...

113-पति घर आवे देर से , बीवी को है रोष !
वास्तु विद कहने लगे, घर में वास्तु दोष !!  ...

114-दो में  दो को  जोड़ कर ,बता दिया था चार !....
बस इतने में खींच ली , यारों ने तलवार !!...

115-और बजा मत बीन अब ,  काँप  सपेरे काँप  !.....
तेरे  बच्चे डस गया ,  तेरा पाला साँप !! .....

पेशावर हमले पर .....एक श्रधांजलि

116-तार तार संवेदना , खड़ी  रही  लाचार  !
बीच सड़क पर भेड़िया, करता रहा  शिकार !!..

-5 दिसंबर की काली रात ..

117-कब देखे है इश्क़ ये , किसकी है दहलीज़ !.....
शहज़ादे के प्यार में , पागल हुई कनीज़ !....

118-ऐसे मिलता था गले , जैसे भरत मिलाप !....
  गले लगाकर ले गया ,वही गले का नाप  !! ...

119-आऊं तेरे ख़्वाब में , राह नहीं आसान !..
चंदा चौकीदार सा ,बैठा सीना तान !!..

120-दुआ करे“इमरोज़”भी , हों पूरे“अरमान”! ...
क़ामयाब हों “परिंदे” , तेरी नई उड़ान !! ....

साए   घटते   जाते  है
जंगल  कटते  जाते  है

कोई  सख़्त  वज़ीफ़ा   है
जो   हम   रटते  जाते है

सुरज  के  आसार है  देखो
बादल   घटते   जाते   है

आस  पास  के  सारे  मंज़र
पीछे     हटते     जाते      है

देखो   "मुनीर"  बहार में  गुलशन
रंग      से      अटते   जाते   है

मुनीर नियाज़ी 
अताउल 'हक़' क़ासमी


1-मेरे लिये आवाज़ा-ए-रुस्वाई बहुत है
इस शहर में इतनी भी पजिराई बहुत है

सहरा को निकल जाये तो दिल भी ज़रा बहले
शहरों में तो हंगामा-ए-तन्हाई बहुत है

लगता है बहुत देर रूकेगी मेरे घर में
इस रात की आँखों में शनाशाई बहुत है
****
2-कहीं गुलाब हूं, और कहीं बबूल में हूं
किसी की याद में हूं और किसी की भूल में हूं

मेरी तलाश में निकले ना क़ाफ़िले वाले
दिखाई दूँगा अभी रास्ते की धुल में हूं

मैं वो दुआँ हूं "अता" जो हरेक लव पर है
बस इतना है, की अरसा-ए-क़बूल में हूं।
***
3-थोडी भी इस तरफ नज़र होनी चाहिए
ये ज़िन्दगी तो मुझसे बशर होनी चाहिए

आए है लोग रात की दहलीज़ फाँद कर
उन के लिए नवेद-ए-सहर होना चाहिए

इस दर्जा पारसाई से घुटने लगा है दम
मैं हूँ बशर ख़ता-ए-बशर होनी चाहिए

वो जानता नही तो बताना फ़ुज़ूल है
उसको मेरे ग़मों की ख़बर होनी चाहिए

मस्जिद से हो रही 'अता' फज्र की अजा
अब तो मेरे नगर में सहर होनी चाहिए
****
4-वो मुझसे दूर सही, दिल के पास रहता है
वो मेरी ज़ात में मिहसल-ए-हवास रहता है

यही कहीं मेरी तक़दीर की गवाही है
यही कही वो सितारा शनास रहता है

मैं बेवफ़ाई पे माईल हूं इन दिनों लेकिन
तेरा ख्याल कहीं आस-पास रहता है
********

5-ख़ुशबुओं का इक नगर आबाद होना चाहिए
इस निज़ाम-ए-ज़र को अब बर्बाद होना चाहिए ..

इन अंधेरों में भी मंजिल तक पहुँच सकते है,हम
जुगनुओं को रास्ता तो याद होना चाहिए ..

ख़्वाहिशों को ख़ूबसूरत शक्ल देने के लिये
ख़्वाहिशों की क़ैद से आज़ाद होना चाहिए..

ज़ुल्म बच्चे जन्म रहा है, कुचा-ओ-बाज़ार में
अदल को भी साहिबे औलाद होना चाहिए...











जाॅन आॅलिया (एलिया)/क़त्आ:


चाँद   की  पिघली  हुई  चाँदी में
ओओ  कुछ रंग-ए-सुख़न  घोलेंगे
तुम  नही  बोलती   हो  मत बोलो
हम  भी   तुम  से  नही   बोलेंगे
~~~~~~~~
है मोहब्बत हयात की लज़्ज़त
वर्ना कुछ लज़्ज़त-ए-हयात नही
क्या इज्ज़ात है एक बात कहूँ
वो मगर ख़ैर कोई बात नही
~~~~~~~~~~
जो  हक़क़ीत है  उसे  हक़क़ीत से
दूर  मत  जाओ   लौट भी  आओ
हो  गई  फिर  किस  ख़याल में गुम
तुम  मिरी  आदतें  न  अपनाओ
~~~~~~~~~~
पसीने  से मिरे  अब  तो ये  रूमाल
है नक़्द-ए-उल्फ़त का ख़जीना
ये  रूमाल  मुझे  को बख़्श  दीजे
नही  तो  लाइए   मेरे   पसीना
~~~~~~~~~
मिरी जब भी नज़र पड़ती है तुझ पर
मिरी   गुलफ़म   जान-ए-दिल-रूबाई
मिरी जी   में   ये  आता है  कि मल दूँ
तिरे     गालों  पे   नीली     रोशीनाई
~~~~~~~~~
वो किसी दिन न आ सके पर उसे
पास  वादे   को   हो    निभाने का
हो   बसर  इंतिज़ार   में    हर  दिन
दूसरा   दिन  हो   उस   के  आने   का
~~~~~~~



जाॅन आॅलिया (एलिया)

गाना - तारे टूटा करतें हैं....
फ़िल्म - आँसू और मुस्कान(1973)
गीतकार - इन्दवीर
संगीतकार - कल्याणजी आनन्दजी
गायक - लता जी

तारे टूटा करतें हैं, सहारे छूटा करतें है..
तारे टूटा करतें हैं, सहारे छूटा करतें है..
कभी ना टूटेंगे ममता के नाते प्यारे..
तारे टूटा करतें हैं, सहारे छूटा करतें है..

आँख में मचोली खेले अँधियारे उजियाले..2
अपनों से छुपतें है ये सारी दुनियाँ वाले..
आँचल के फुलों से माता आँखे न फेरे...2
सब कुछ अपना है जब तू पास हमारे
तारे टूटा करतें हैं, सहारे छूटा करतें है..

जीवन धन है मेरा तेरा सुन्दर मुखड़ा..2
देख मुखड़ा तेरा भूलूँ  मैं हर दुखड़ा
तू ही तो लायेगी मेरी खोई हुई बहारें...2
प्यार का बंधन तू दो दिल न रहे न्यारे
तारे टूटा करतें हैं, सहारे छूटा करतें है..

ओ ओ ओ ओ ओ.........

गाना - भीगे हुऐ आँचल से समेटो ना बदन को
फ़िल्म - तन्हाई (1970)
गीतकार- अमन
संगीतकार - उषा खन्ना
गायक - किशोर दा

भीगे हुऐ आँचल से समेटो ना बदन को
सावन में कही आग न लग जाये चमन को
भीगे हुऐ आँचल से..,
ये हुस्न ये शबनम ये बहारें ये जवानी
ऐ हुस्न ये शबनम ये बहारें ये जवानी
बहता हुआ देखा है यहीं आग पे पानी
है ले जाऊ ऐसे में कहाँ दिल की जलन को
सावन में कही आग न लग...

उलझी हुई साँसें है धड़कता हुआ सीना
ऐ उलझी हुई साँसें है धड़कता हुआ सीना
  होंठों पे दबी बात है माथे पे पसीना
ऐ है खिलती है कलि देख के नाज़ुक से दहन को
सावन में कही आग न लग जाये चमन को
भीगे हुऐ आँचल से..,

ये मधभरी तन्हाई ये तन्हाई का जादू
ऐ मधभरी तन्हाई ये तन्हाई का जादू
ऐसे में भला कैसे हो ज़ज्बात पे क़ाबू
ऐ रंगी बना लो इसी पलभर के मिलन को
सावन में कही आग न लग जाये चमन को
भीगे हुऐ आँचल से..,


आया मेरी महफ़िल में ग़ारत-गर होश आया
पैमान-ए-बकफ़ आया मैख़ाना बदहोश आया..

वो ख़ुद लिये बैठे थे आग़ोश-ए-तवज्जोह में
बेहोश ही अच्छा था नाहक़ मुझे होश आया..

उड़ कर दिले-ए-वीरां से,आँखों में कुछ आया था
पैमाना- ए- खाली क्या था जिसे जोश आया ..

क्यों दामन-ए-हस्ती तक बढ़ने दिया हाथों को
दीवाना अगर था मैं, दुनिया को न होश आया....

-सीमाब अकबराबादी


  1975 में बनी पाकिस्तानी फ़िल्म 'बेगम जाने'के लिये क़तिल साहब ने ये ग़ज़ल लिखी थी, जिससे गुलाम अब्बास साहब ने गाया था और संगीतकार थे  ए.हमीद साहब

ए दोस्त तेरी आँख नम है तो मुझे क्या
मैं खूब हँसूँगा तुझे ग़म है तो मुझे क्या

मैने तो दबा रखे हैं , जज़्बात में शोले
क़ायम तेरा अश्कों से भ्रम है तो मुझे क्या

पूजा है सदा मैने ग़रीबों के ख़ुदा को
तेरा कोई पत्थर का सनम है तो मुझे क्या

नासेह जहाँ माओं के तरसते है कफ़न को
उस शहर में सर तेरा भी ख़म है तो मुझे क्या

जब जिन्दा लोग मौत की राहों पे चल पडे
इतना हंसों के आँख से आँसू निकल पडे

ज़िन्दगी क्या है यादों की बारात ज़ख़्मों की बारात

गाना - ज़िन्दगी क्या है यादों की बारात
फ़िल्म - फ़रार (1975)
गीतकार -इन्दवीर
संगीतकार - कल्याणजी आनन्दजी
गायक - मुकेश साहब

ज़िन्दगी क्या है यादों की बारात ज़ख़्मों की बारात
ज़िन्दगी क्या है यादों की बारात ज़ख़्मों की बारात
कुछ देखे और कुछ अनदेखे सपनों की बारात
ज़िन्दगी क्या है यादों की बरात ज़ख़्मों की बारात

कोन कहाँ पर मिल जाये कोन कहाँ खो जाये ....
करवट बदले वक्त ये ऐसा क्या से क्या हो जाये...
गम के मोड़ पे आके ठहरे ख़ुशियाँ की बारात
ज़िन्दगी क्या है यादों की बरात....

ऐसी भी होती है दिल में दर्द भरी कुछ यादें...
दिल मचले तो बन जाती है होंठों पे फ़रियादे...
और दुनिया ये समझे ये है निगमों की बारात
ज़िन्दगी क्या है यादों की बरात....

गाना - हम भूल गए रे हर बात ...
फ़िल्म - सहेली (1969)
गीतकार- फैय्याज़ हाशमी
संगीतकार - ए. हमीद
गायक - नसीम बेगम

हम भूल गए रे हर बात मगर तेरा प्यार नहीं भूले -2
क्या क्या हुआ दिल के साथ मगर तेरा प्यार नहीं भूले -
हम भूल गए रे हर बात...

बचपन के हम साथी दोनों सदा रहे है साथ
एक ही सपना देखें जैसें दो आँखें दिन रात
दुनीया ने कही सौ बात मगर तेरा प्यार नही भुले..
क्या क्या हुआ दिल के साथ.....

हाय रे मजबूरी दिल की भेद ना दिल ने खोले
अपने बरसों जलते देखा मुँह से कुछ ना बोले
हम जलते रहे रे दिन रात मगर तेरा प्यार नही भूले
क्या क्या हुआ दिल के साथ.....
हम भूल गए रे हर बात मगर तेरा प्यार नहीं भूले ..
गाना - अगर तुम मिल जाओ
फिल्म - ईमानदार (1974)
गीतकार -
संगीतकार - नाशाद
गायक -तसव्वुर खानम'

अगर तुम मिल जाओ....ज़माना छोड़ देगे हम...
तुम्हे पा कर ज़माने भर से रिश्ता तोड़ देगे हम
अगर तुम मिल जाओ......

तुम्हें दिल में रखेगें, अपनी पलकों में छुपा लेगें
तुम्हें खुशबू समझके अपनी साँसों में बसा लेगें
क़यामत तक जो ना टूटे रिश्ता जोड़ देंगे हम
अगर तुम मिल जाओ .....

बदन के साये जाने मन तुम्हारे रंग में रंग डाले
जुदा क्या कर सकेंगे तुम को मुझसे ये जहाँ वाले
मोहब्बत की कसम तक़दीर का रूख मोड़ देंगे हम
अगर तुम मिल जाओ .....

ना हो जिसमें तुम शामिल वो बहारें हम नही लेगे
तुम्हारे नाम पे ये दिल तो क्या है ये जान भी देगे
नज़र जिसमें न तुम आये वो शीशा तोड़ देंगे हम
अगर तुम मिल जाओ .....

याद पर शे'र

1-कहीं पर भी रहें हम तुम मोहब्बत फिर मोहब्बत है ...
तुम्हेँ हम याद आयेंगे हमें तुम याद आओगे
-नज़ीर बनारसी

2-लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
यों याद तेरी शब भर सीने में सुलगती है
-बशीर साहब

3-उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो।
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाए।
-बशीर साहब

3-दौर  अपनी  खुश-दर्दी  रात  बहुत  ही  याद आया
  अब जो किताबे शौक निकाली सारे वरक बरहम निकले

-जाॅन एलिया

4-उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा,
यूँ  ही  मेरे  बाल  हैं  बिखरे  और  बिखर  जाते  होंगे
-जाॅन एलिया

5-याद हैं अब भी अपने ख्वाब तुम्हें
मुझ से मिलकर उदास भी हो क्या
-जाॅन एलिया

6-नहीं आती तो याद उनकी महीनों भर नहीं आती ...
मगर जब याद आते हैं, तो अक्सर याद आते हैं ....
-हसरत मोहानी

7-तुम गै़र के घर बैठ के दिल शाद करोगे
हम कौन है साहेब, हमें क्यों याद करोगे
-मीर "इश्क़"

8-क्या सानेहा याद आया 'रज़्मी' की तबाही का,
क्यों आपकी नाज़ुक सी आँखों में नमी आई।
-मुज़फ़्फ़र रज्मी

9-मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखा
उस को छुट्टी न मिली जिसको सबक़ याद हुआ
-मीर ताहिर अली रिज़वी

10-बरसात की भीगी रातों में फिर कोई सुहानी याद आई
कुछ अपना ज़माना याद आया, कुछ उनकी जवानी याद आई
-क़तील शिफ़ाई

11-हम भी क्या पागल थे अपने प्यार की सारी पूँजी
उसकी इक इक याद बचा कर पीछे छोड़ आए है
-सईद कैस

12-फिर याद बहुत आयेगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा
-बशीर साहब

13-याद अब ख़ुद को आ रहे हैं हम..
कुछँ दिनों तक रहे हैं हम...
-बशीर साहब

14-किसी की याद में पलकें ज़रा भिगो लेते
उदास  रात  की   तन्हाई में  रो लेते
-बशीर साहब

15-आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना
वो बाग़ की बहारें वो सब का चह-चहाना
-अल्लामा इक़बाल

16-लगती हो चोट दिल पर, आता है याद जिस दम
शबनम के आँसूओं पर कलियों का मुस्कुराना
-अल्लामा इक़बाल

17-मैं अपने दिल से निकालूँ ख़्याल किस-किस का
जो तू नहीं तो कोई और याद आए मुझे
-क़तील शिफ़ाई

18-आया हूँ याद बाद-ए-फ़ना उनको भी ‘अदम‘
क्या जल्द मेरे सीख पे इमान लाए हैं
-सैयद अब्दुल हमीद 'अदम'

19-कोई पत्थर नहीं हूँ कि जिस शक्ल में मुझको चाहो बनाया बिगाड़ा करो
भूल जाने की कोशिश तो की थी मगर याद तुम आ गए भूलते भूलते

-बशीर बद्र

20-अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं
मेरी याद से जंग फ़रमा रहे हैं
-खुमार बाराबंकवी

21-कहीं गुलाब हूं, और कहीं बबूल में हूं
किसी की याद में हूं और किसी की भूल में हूं
-अताउल 'हक़' क़ासमी

22-लम्हात-ए-मुसर्रत हैं तसव्वुर से गुरेज़ाँ
याद आये हैं जब बागम-ओ-आलम ही आये
-अदा जाफ़री

23-तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
-फ़ैज़ साहब

24-दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
-फ़ैज़ साहब

25-आप की याद आती रही रात भर
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर''
-फ़ैज़ साहब

26-रश्क़ से नाम नहीं लेते कि सुन ले न कोई
दिल ही दिल में हम उसे याद किया करते हैं
-नासिख़

27-जाते हो ख़ुदा हाफ़िज़, हाँ इतनी गुज़ारिश है,
जब याद हम आ जाएँ, मिलने की दुआ करना।
-जलील मानिकपुरी

28-कहीं ये अपनी मुहब्बत की इंतिहा तो नहीं
बहुत दिनों से तिरी याद भी नहीं आई
-अहमद राही

29-ऐसा लगता है कि कर देगा अब आज़ाद मुझे
मेरी मर्ज़ी से उड़ाने लगा है सैयाद मुझे
एक क़िस्से की तरह वह तो मुझे भूल गया
इक कहानी की तरह वह है याद मुझे
-मुनव्वर राना

30-चेहरा ओ नाम एक साथ आज न याद आ सके
वक़्त ने किस शबीह को ख़्बाव-ओ-ख्याल कर दिया
-परवीन शाकिर

31-ऐ जान तेरी याद के बे-नाम परिंदे
शाखों पे मेरे दर्द की उतरेंगे किसी दिन
-अमजद इस्लाम अमजद

32-ज़मीं का होश रहा और न आसमाँ की ख़बर
किसी की याद में दोनों जहान भूल गए
-राजेश रेड्डी

33-एक मुद्दत से तेरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
-फ़िराक़ गोरखपुरी

34-ग़रज़ कि काट दिये ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
-फ़िराक़ गोरखपुरी

35-याद उसकी इतनी ख़ूब नहीं 'मीर', बाज़ आ
नादान ! फिर वो जी से भुलाया न जाएगा
- मीर तक़ी मीर

36-हम ही में थी न कोई बात, याद न तुम को आ सके
तुमने हमें भुला दिया, हम न तुम्हें भुला सके
-हफ़ीज़ जालंधरी

37-कहीं ये अपनी मुहब्बत की इंतिहा तो नहीं
बहुत दिनों से तिरी याद भी नहीं आई

-अहमद राही

38-याद उसे भी एक अधूरा अफ़साना तो होगा
कल रस्ते मेंं उसने हमको पहचाना तो होगा
-जावेद अख़्तर

39-   फ़िक्र-ए-मआश-ओ-इश्क़-ए-बुताँ याद-ए-रफ़्तगाँ
इन मुश्किलों से अहद-बरआई न हो सकी

(फ़िक्र-ए-मआश = आजीविका/ कमाई की चिंता), (इश्क़-ए-बुताँ = महबूब से प्रेम), (याद-ए-रफ़्तगाँ = गुज़री हुई यादें), (अहद-बरआई = वादा निभाना)                                              
-तिलोक चंद 'महरूम'

40-अब याद-ए-रफ़्तगाँ की भी हिम्मत नहीं रही
यारों ने इतनी दूर बसा ली हैं बस्तियाँ
-फ़िराक़ गोरखपुरी

41-जब तुझे याद कर लिया, सुबह महक महक उठी
जब तेरा ग़म जगा लिया, रात मचल मचल गई

-फ़ैज़ साहब

42-उठा लाया हूँ सारे ख़्वाब अपने ...
तिरी यादों के बोसीदा मकाँ से
-रसा चुग़ताई



43-उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद
    कट     रही     है    ज़िन्दगी   आराम  से
-महशर इनायती

44-उस को भूले तो हुए हो 'फ़ानी'
क्या करोगे अगर वो याद आया
-फ़ानी बदायूंनी

45-कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज   तुम   याद   बे-हिसाब   आए

-फ़ैज़ साहब

46- क्या सितम है अब तिरी सूरत
ग़ौर  करने  पे  याद  आती  है
-जाॅन एलिया

47- ग़रज़ के काट दिए ज़िन्दगी के दिन ए दोस्त
  वो  तेरी  याद  में  हो  या  तुझे  भूलाने  में
-फ़िराक़ गोरखपुरी

48-ज़रा सी बात सही तेरी याद आ जाना
     ज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी
-नासिर काज़मी

49-जिसको तुम भूल गए याद करें कौन उस को
     जिसको तुम याद हो वो और किसे याद करे
-जोश मलसियानी

50-तुम ने  किया न याद कभी भुल कर  हमें
      हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भूला दिया
-बहादुर शाह ज़फ़र

51-दिल धड़कने का सबब याद आया
      वो तिरी याद थी अब याद आया
-नासिर क़ाजमी

52- नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नही आती
      मगर जब याद आते है, तो अक्सर याद आते है
-हसरत मोहानी

53- मुझे  याद  करने  से  ये  मुद्दआ  था
      निकल जाए दम हिचकियाँ आते आते
-दाग

54-मुद्दतें गुज़री तिरी याद भी न आई हमें
और हम भूल गये हो तुझे ऐसा भी नही
- फ़िराक़ गोरखपुरी

55-याद उस की  इतनी खूब नही 'मीर' बाज आ
      नादान  फ़िर  वो  जी  से भुलाया न जाएगा
-मीर तकी 'मीर'

56-याद करना हर घड़ी तुझ यार का
     है वज़ीफ़ा मुझ दिल-ए-बिमार का
-वली मोहम्मद 'वली'

57-याद रखना ही मोहब्बत में नही सब कुछ
     भूल  जाना  भी  बड़ी बात हुआ करती है
-जमाल एहसानी

58-याद-ए-माज़ी अज़ाब है या-रब
      छीन ले मुझँ से हाफ़िज़ मेरा
-अख़्तर अंसारी

59-वही फिर मुझे याद आने लगे है
     जिन्हें भूलने में ज़माने लगे है
-ख़ुमार बाराबंकवी

60- एक याद है कि छीन रही है लबों से जाम.
      एक अक्स है कि काँप रहा है शराब में
-शकेब ज़ालिब

61-याद के फेर में आ कर दिल पर एसी कारी चोट लगी
   दुःख में सुख है सुख में दुःख है भेद ये न्यारा भूल गया
-सनाउल्लाह खान”मीरा-जी”
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75-
हो तेरी याद का दिल में ग़ुजर आहिस्ता-आहिस्ता ...
कर ये चाँद सहरा में सफ़र आहिस्ता-आहिस्ता ...
-हसन अकबर

76-
याद का फूल सर-ए-शाम खिला तो होगा ...
जिस्म मानूस सी ख़ुशबू में बसा होगा ...
-हसन नईम
77-
जाईका मौता का बस याद दिला देता है ...
क्या क़यामत है ये कहना तिरा हम भूल गए

78-
याद रखने की ये बातें है बज़ा है सच है ...
आप भूले न हमें आप को हम भूल गए ...
-हातिम अली मेहर

79-
रह-रह के कौंदती है अंधेरे में बिजलियाँ ...
तुम याद कर रहे हो कि याद आ रहे हो तुम ...
-हैरत गोंडवी

86-जिसे देखा नही रोता हुआ उस की याद में शब्-भर
जिसे पाया नही उस को गँवा कर देख लेता हूँ
-नज़ीर क़ैसर

87-क्यूँ मिली थी हयात याद करो
याद रखने की बात याद करो
-नौशाद साहब

88-अभी कल तक  वफ़ा की रहों में
तुम भी थे मेरे साथ याद करो
-नौशाद साहब

मुझे क्या पुछते हो हाल मिरा
ख़ुद कोई वारदात याद करो
-नौशाद साहब

छोड़ो जाने दो जो हुआ सो हुआ
आज क्यूँ कल की बात याद करें
-नौशाद साहब

करना है अगर शाईरी 'नौशाद'
'मीर' का कुल्लियात याद करो
-नौशाद साहब

89-देखा जो उन्हें सर भी झुकाना न रहा याद
दरअसल नमाज़ आज अदा हमसे हुई है