दिन है ये बहार के फूल चुन ले प्यार/ रफ़ी साहब
फ़िल्म -हनीमुन(1973)
गीतकार -योगेश
संगीतकार -उषा ख़न्ना
गायक - रफ़ी साहब
दिन है ये बहार के फूल चुन ले प्यार के
ओ साथ ओ साथी हो ओ साथ ओ साथी हो
दिन है ये बहार के फूल चुन ले प्यार के
ओ साथ ओ साथी हो ओ साथ ओ साथी हो..
तेरे हँसते होंठों से बिछड़े तेरे गीत क्यों
बरसे सावन प्यार का तरसे तेरे प्रीत क्यों
बीत ना जाए कहीं प्यार का सावन यूँही
ओ साथ ओ साथी हो ओ साथ ओ साथी हो..,
शायर कहता है तुझे सहमा-सहमा दिल तेरा
तेरी ग़ुज़री ज़िन्दगी थामें ना आँचल तेरा
प्यार जो करते है वो यँू ही नही ड़रते है वो
ओ साथ ओ साथी हो ओ साथ ओ साथी हो
दुल्हन बनकर ज़िन्दगी चलती तेरे साथ
बँधकर वाहे थाम ले रुकने की क्या बात है
आज क्यों है दुरियाँ क्यों है ये मजबुरीयाँ
ओ साथ ओ साथी हो ओ साथ ओ साथी हो...
होना था जो वो हो गया साथी अब ना सोच तू
कहकर मन के भेद ये हल्का करले बोझ तू
ये ख़ामोशी तोड़ दे ये उदासी छोड़ दे
ओ साथ ओ साथी हो ओ साथ ओ साथी हो...
प्रस्तुति - युधिष्टर पारीक