बुधवार, 23 नवंबर 2016

अरे हंस ने वालों कभी ये भी सोचो
जिन्हें प्यार मिलता नही जितें है कैसे ..
अरे हंस ने वालों कभी ये भी सोचो
जिन्हें प्यार मिलता नही जितें है कैसे ..

साथ जिये साथ मरे दिल ने कभी चाहा था
प्यार मिले प्यार करें ऐसा कभी सोचा था
दिल को किसी ने तोड़ा अपना बनाके छोड़ा 
उतना हमें रोना पड़ा जितने हंसी सपना था
अरे हंस ने वालों....

जिनको मिली दिल की खुशी,खुशीयां मना सकते है ...
अपने  ये ग़म दुनिया को हम कैसे सुना सकते हैं
सपने सजाने वालो हसने हँसाने वालो ...
ओओ इधर ज़ख़्में जिगर तुमको दिखा सकते हैं!!

अरे हंस ने वालों कभी ये भी सोचो
जिन्हें प्यार मिलता नही जितें है कैसे ..
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फ़िल्म - परवाना(1971)
गीतकार - कैफ़ी आज़मी साहब
संगीतकार - मदनमोहन साहब
गायक -रफ़ी साहब
ख़ुशबू हूँ मै फ़ूल नही हूँ जो मुरझाऊँगा 
ख़ुशबू हूँ मै फ़ूल नही  हूँ जो मुरझाऊँगा 
जब जब मौसम लहरायेगा, मै आ जाऊँगा 
ख़ुशबू हूं मै फ़ूल नही.....
मेरी सूरत कोई नहीं हर चेहरा मेरा चेहरा है
भीगा सावन सूना आँगन हर आईना मेरा है 
जब जब कली खिलेगी कोई मै मुस्काऊँगा-२
मै आ जाऊँगा
ख़ुशबू हूँ मै फ़ूल नही हूँ जो मुरझाऊँगा 
शाम का गहरा सन्नाटा जब दीप जलाने आएगा
मेरा प्यार तुम्हारी सूनी बाँहों में घबराएगा
मै ममता का आँचल बन कर -२
लोरी  गाऊँगा मै आ जाऊँगा
मै आ जाऊँगा ....
जब भी मेरी याद सताये फ़ूल खिलाती रहना
मेरे गीत सहारा देंगे इनको गाती रहना
मैं अनदेखा तारा बनकर राह दिखाऊँगा 
मैं आ जाऊँगा .....
ख़ुशबू हूँ मैं फ़ूल नही हूँ जो मुरझाऊँगा 
ख़ुशबू हूँ मैं फ़ूल नही  हूँ जो मुरझाऊँगा 
जब जब मौसम लहरायेगा, मैं आ जाऊँगा 
ख़ुशबू हूँ मैं फ़ूल नही.....
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फ़िल्म - शायद -(1979)
गीत - नीदा फ़ाज़ली साहब
संगीत -मानस मुख़र्जी  
गायक - रफ़ी साहब 
इतनी हसीन इतनी जबां रात क्या करें
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें

साँसों मैं घुल रही है किसी साँसों की महक
दामन को छू रहा है कोई हाथ क्या करें

शायद तुम्हारे आनें से ये भेद खुल सके
हैरान है की आज नई बात क्या करें

फ़िल्म- आज और कल
संगीत - रवि साहब
ग़ज़ल -साहिर लुधियानवी 
गायक - रफ़ी साहब
कैसे कटेगी ज़िन्दगी तेरे बग़ैर, तेरे बग़ैर 
कैसे कटेगी ज़िन्दगी तेरे बग़ैर, तेरे बग़ैर 

पाऊँगा हर शै मैं कमी तेरे बग़ैर ,तेरे बग़ैर 
कैसे कटेगी ज़िन्दगी तेरे बग़ैर, तेरे बगैर
फूल खिले तो यूँ लगें,  फूल नही ये दाग है -2
तारे फलक पे यूँ लगे जैसे बुझे चिराग़ है 
आग लगाये चाँदनी तेरे बग़ैर,

कैसे कटेगी ज़िन्दगी तेरे बग़ैर, तेरे बग़ैर 
चाँद घटा मैं छुप गया, सारा जहाँ उदास है ..2
कहती है दिल की धड़कने, तूं कही आसपास है
आके तड़प रहा है जी तेरे बग़ैर  तेरे बगैर ड
पाऊँगा हर शै मैं कमी तेरे बग़ैर 
कैसे कटेगी ज़िन्दगी तेरे बग़ैर
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फ़िल्म - नॉन फ़िल्मी 
गीत - राजा मेहदी अली साहब
संगीत - मदन मोहन साहब
गायक - रफ़ी साहब
तुम्हारे प्यार मे हम-बेक़रार हो के चले
शिकार करने को आये शिकार हो के चले
तुम्हारे प्यार मे ....

तुम्हें क़रीब से देखा तो दिल को हार दिया
तुम्हारी शौख अदाओं ने हमें तो मार दिया
हर-एक बात पे हम तो निसार हो के चले
शिकार करने को ...

तुम्हारी आँख मोहब्बत की बात कहती है
तुम्हें जरूर किसी की तलाश रहती है
ये राज जान गये राज़दार हो के चले
शिकार करने को ....

न इतना होश न अपनी ख़बर कहाँ है हम
इसी का नाम मोहब्बत है ऐ मेरे हमदम
तुम्हारे कुचे से दीवानावार हो के चले
शिकार करने को ....

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फ़िल्म - शिकार (1968)
गीत - हसरत साहब
संगीत - शंकर जयकिशन 
गायक -रफ़ी साहब