सोमवार, 10 नवंबर 2014

एक जानिब शम्मे-महफ़िल - रफ़ी मन्ना डे

गाना - एक जानिब शम्मे-महफ़िल
फ़िल्म - अभिलाषा (1968)
गीतकार - मज़रूह सुल्तानपुरी
संगीतकार - राहुल देव बर्मन
गायककार - रफ़ी- मन्ना डे़

रफ़ी
आ आ आ ...एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल...

मन्ना डे-
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ ओ गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल....

रफ़ी-
एक सू एक शोला चरागों की अंजुमन में
एक सू रंगे-जलवा किसी बुत के बांकपन में

मन्ना ड़े-
एक शोला एक जलवा और इनमें एक दीवाना

एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ ओ गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल

मन्ना ड़े-
उसकी क्या है मंजिल नहीं इतना बेखबर भी
आया दिलबरों में तो हैं काफी एक नज़र भी

रफ़ी-
इन नज़रों को यारों क्या जानूँ मैं अंजाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ:ओ: गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल

मन्ना डे - रफ़ी
ऊँ ऊँ ऊँ.....आ: आ: आ: ....ला: ला: ला:....
रफ़ी-
क्या-क्या रंग निकले हसीनों की सादगी से
ओ ओ ओ.....
मन्ना डे
इतनी है शिकायत के मिलते हैं अज़नबी से

रफ़ी-
जो ऐसा बेपरवाह क्या उससे दिल उलझाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल

मन्ना डे-
ओ: ओ:....
एक जानिब रूहे-जाना

रफ़ी - मन्ना डे
ओ  ओ ओ ....
गिरता है देखें कहाँ परवाना

एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ: ओ: गिरता है देखें कहाँ परवाना

एक जानिब शम्मे-महफ़िल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें