मंगलवार, 19 मई 2015

जब चलते चलते, मेरे पाँव थक जाते हैं ..

लापरवाही से, मेरे घाव पक जाते है ...

बह जाते हैं, अपने सब! ढह जाते सपने जब ...

जब दिल के समन्दर में भीषण बाढ़ आती है ...

सच बताऊँ दोस्तों "माँ" बहुत याद आती है ..!!!!

युधिष्टर पारीक

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