रफ़ी साहब के कुछ हिट गीत
L-तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन अब न गुजरेंगे-2
जो दिल में आ गई है आज हम वो कर ही गुजरेंगे ,
R-खबर क्या थी के अपने भी सितारे ऐसे बिगड़ेंगे ,
के जो पूजा के काबिल है वही यूँ रंग बदलेंगे ......
तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन .....
L -कई दिन बाद फिर ,यह साज यह सिंगार पाया है
आप यूं इनकार कर देंगे ...
R-तुम्हे कैसे बताएं ,क्या हमारे साथ गुजरी है ,
तुम्हारे ख्वाब टूटेंगे ,अगर सच बात कह देंगे .......
तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन .....
L-तुम्हारी एक न मानेंगे करेंगे आज मनमानी
बहुत तरसाया है तुमने ,नहीं अब और तरसेंगे
R-सताया तो नहीं करते ,कभी किस्मत के मारों को
कीसी की जान जाएगी ,किसी के अरमान निकलेंगे
तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन ....
आ्आआआ.....................
L- मनाया तुम को कितनी बार ,लेकिन तुम नहीं माने
तो अब मजबूर होकर हम ,शरारत पर भी उतरेंगे
R- हकीकत क्या है ये पहले बता देते तो अच्छा था
खुद अपने जाल से भी हम न जाने कैसे निकलेंगे
तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन .......
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फिल्म - आत्माराम(1979)
गीत - विघ्वेश्वर शर्मा
संगीत - शंकर (शंकर-जय किशन)
गायक - लता जी/रफ़ी साहब
2-
या इलाही, या इलाही, या इलाही,या इलाही
एक हसीना ने मचाई है तबाही .. ह्ह्ह्ह्ह्ह्हो
या इलाही...............
उफ़ देखो क्या मचलती चलती है-2
मुड़-मुड़ के दिल मसलती चलती है
इसको बहला गई, उसको तड़पा गई
सबको घायल किया, सबको बहका गई
राहें भुलना ना जायें कही राही राही राही
या इलाही....,
हाये तौबा क्या नज़र में क्या मस्ती है-2
रह रह के वो निगाह डँसतीं है
गौरा-गौरा बदन आरज़ू का चमन
शौक अगड़ाईया मौज गंगो जमन
ज़ुल्फ़ जैसे गुनाहों की सियाही-2
ह्ह्ह्ह्ह्ो.......या इलाही.......
दिलवाले कब सितम से डरतें हैं-2
मरतें हैं फिर भी प्यार करतें हैं
रुक गयें क्यों कदम आ करीब आ सनम
सर पे रख दे तेरे इश्क़ का ताज हम
कर ले दिल पे हमारे बादशाही -2
ह्ह्ह्ह्ह्ो........या इलाही..........
या इलाही, या इलाही, या इलाही,या इलाही
एक हसीना ने मचाई है तबाही .. ह्ह्ह्ह्ह्ह्हो
या इलाही...............
NON फ़िल्मी गीत
गीतकार -------
संगीतकार - मदन मोहन साहब
गायक - रफ़ी साहब
3-
गाना - जिसका दर्शन करने को सुरज निकलता है..
फ़िल्म - कारण (1980)
गीतकार - इन्दवीर
संगीतकार - उषा खन्ना
गायक - रफ़ी साहब
जिसका दर्शन करने को सुरज निकलता है वो तुम हो....
जिसकी चमक चुराने को ये चाँद मचलता है वो तुम हो..
वो तुम हो.......वो तुम हो.......वो तुम हो.....
नज़र मिल जब तुमसे जब कोई और नज़र ना आया
तुम्हें बनाकर रब ने अपना सुन्दर रूप दिखाया
जिसके सामने आने को दर्पण तड़पता है वो तुम हो-2
वो तुम हो....... वो तुम हो.......वो तुम हो.....
जिसका दर्शन करने को सुरज निकलता है, वो तुम हो....
जिसकी चमक चुराने को ये चाँद मचलता है, वो तुम हो..
वो तुम हो.......वो तुम हो.......वो तुम हो.....
चाल से ताल निकलते है संगीत बसा बतों में...
किस्मत लिख सकती हो तुम वो कला छुपी हाथों में
जिससे हाथ मिलाने को हर कोई तरसता है वो तुम हो-2
वो तुम हो.......वो तुम हो.......
जिसका दर्शन करने को सुरज निकलता है.....
4-
गाना- हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो...
फ़िल्म - बदतमीज़ (1964)
गीतकार - हसरत जयपुरी साहब
संगीतकार - शंकर जयकिशन
गायक - रफ़ी साहब
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो, तुम्हारा सजिदा नही करेंगे ..
मगर मोहब्बत मैं हुक्म दोगे तो ये हँसते हँसते ये जाँ भी देगें
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो...
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो, तुम्हारी नज़रोें...
समझते हो ख़ुद को जाने क्या तुम, की सारी दुनिया को खाख जाना..
ग़ुरूर का सर झुकेगा इक दिन, हंसेगा तुम पर भी ये जमाना..
हमेशा ये सीन नही रहेगा, हमेशा ये दिन नही रहेंगे
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो.....
हमारी नज़रों का सुखर कीजिएे, की आसमाँ पर तुम्हें बैठाया....2
हमारे दिल को दुआएँ दीजिए, की धड़कनों मैं तुम्हें बैठाया
बुलंदियों से गिरोगे तुम भी , अगर निगाहों से हम गिरेंगें
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो.....
हमारे जैसे अगर है लाखों, तुम्हारे जैसे भी कम नही हैं..2
जो ख़ुद ही पत्थर से फोड़ ले सर वो और होंगे वो हम नही.
नही मोहब्बत मैं मर सके भला वो जी कर ही क्या करेगा
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो.....
5-
गाना - बा-होशो-हवास में दीवाना ये
फ़िल्म - नाइट इन लंदन(1960)
गीतकार - आनन्द बख्शी
संगीतकार - लक्ष्मी-प्यारे
गायक - रफ़ी साहब
बा-होशो-हवास में दीवाना ये..
ये आज बशियत करता हूं..
ये दिल, ये जान मिले तुमको..
मैं तुम से मोहब्बत करता हूं...
मेरे जीते-जी यार तुम्हे,
मेरी सारी जागीर मिले,
वो ख्वाब जो मैने देखें है,
उन ख़्वाबों की ताबीर मिले
हर एक तमन्ना के बदले,
मैं आज ये हसरत करता हूं
ये दिल, ये जान मिले तुमको
मैं तुम से मोहब्बत करता हूं...
मेरी आँखों मैं नींद नही,
मेरे होंठों पे प्यास नही
हर चीज़ तुम्हारी नाम हुई,
अब कुछ भी मेरे पास नही
तुमने तो लुट लिया मुझको
मैं तुमसे शिकायत करता हूं
ये दिल, ये जान मिले तुमको
मैं तुम से मोहब्बत करता हूं...
6-
सरे महफ़िल मेरा ईमान बेईमान हो..
फ़िल्म - अब क्या होगा(1977)
गीतकार -सावन कुमार
संगीतकार - उषा खन्ना
गायक - रफ़ी साहब / आशा जी
R- स'रे महफ़िल मेरा ईमान बेईमान हो गया, हो यारों अब क्या होगा यारों अब क्या होगा
मेरा कातिल मेरे घर में मेरा मेहमान हो गया,
हो यारों अब क्या होगा यारों अब क्या होगा
A- वहीं होगा जो मंजुरे खुदा होगा, खुदा होगा
R-हो यारो अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
जमीन पर पांव मत रखना, कहीं मेंला ना हो जाए
ना जाना चाँदनी में ये बदन मेंला ना हो जाए
खुदा भेज दें जनत से तू अपनी बहारों को
सजादे आसमान तू राह में इनकी सितारों को
शरीक ऐ जिदंगी होना तेरा एहसान हो गया
हो यारो अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
A-वहीं होगा जो मंजुरे खुदा होगा, खुदा होगा
R-हो यारो अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
A-नहीं थे हम किसी काबिल जगह दे दी हमें दिल में
करें हम शुक्रिया कैसे की रख ली लाज महफिल में
ना फूलों की तमन्ना है, ना चाहत है सितारों की
तुम्हारे प्यार के आगे जरुरत क्या बहारों की
तुम्हारे बाहों में रहना मेरा अरमान हो गया
R-हो यारो अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
A-वहीं होगा जो मंजुरे खुदा होगा, खुदा होगा
R-हो यारो अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
जमीन की तुम नहीं लगती, कहां से आई हो बोलो
मेरी जन हुस्न परियों का, कहां से लायी हो बोलो
A-खुदा ने खुद बनाया हैं हमें तो आपकी खातिर
गज़ल मुझको बनाया हैं बनाकर आपको शायर
मिलन पर जानेमन अपना खुदा हैरान हो गया
R-हो यारों अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
सारे महफ़िल मेरा ईमान बेईमान हो गया, हो यारों अब क्या होगा यारों अब क्या होगा
मेरा कातिल मेरे घर में मेरा मेहमान हो गया, हो यारों अब क्या होगा यारों अब क्या होगा
7-
ओ मेरी लाड़ली प्यारी बहना रानी बहना ...
तु मेरे होते हुऐ आँसू ओ मैं नही बहना ....
कंचन- ओ मान लिया मैने तेरा कहना यही कहना तेरी बहना
रफ़ी- बहना ओ मेरी लाड़ली प्यारी बहना रानी बहना
जाने कब का पुन: उदय हो आया जो मैने
मन्दिर ये जैसा घर पाया..
कचन- जिस दिन तेरे पाँव पड़े इस घर मैं मन्दिर से बन गया पग पलभर में यें घर
रफ़ी- मेरी कसम
कचन- तेरी कसम
रफ़ी- ओ जिया कहे अब तो यही रहना
कचन - यही कहना फिर कहना
रफ़ी-ओ मेरी बहना लाड़ली प्यारी बहना बहना
रानी बहना...
मुझको दे दो सारे काम अधुरे
तुम सपने देखो में करू सपने पुरे
कचन- तु हर माँ पाप का सपना होगा
नही तेरे जितना कोई अपना होगा
रफ़ी- मेरी कसम
कचन- तेरी कसम
रफ़ी - ओ मैं सदा तेरा मानूँगा कहना
कचन - यही कहना फ़िर कहना
रफ़ी-ओ मेरी लाड़ली प्यारी बहना
आज न जाने क्या से क्या हो जाता
ये रक्षाबन्धन बन गया जिवन दाता
कंचन- जिसको तरसी अब वो प्यार मिला है
मुझे राखी का असली हक़दार मिला है
रफ़ी- मेरी कसम
कचन- तेरी कसम
ओ देर ना कर राखी अभी पहना दे
कचन - यही कहना फ़िर कहना
रफ़ी - बहना
कंचन- में तेरी लाड़ली प्यारी बहना
रानी बहना
रफ़ी- तु मेरे होते हुऐ आँसू ओ मैं नही बहना ...
8-
गाना - एक जानिब शम्मे-महफ़िल
फ़िल्म - अभिलाषा (1968)
गीतकार - मज़रूह सुल्तानपुरी
संगीतकार - राहुल देव बर्मन
गायककार - रफ़ी- मन्ना डे़
रफ़ी
आ आ आ ...एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल...
मन्ना डे-
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ ओ गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल....
रफ़ी-
एक सू एक शोला चरागों की अंजुमन में
एक सू रंगे-जलवा किसी बुत के बांकपन में
मन्ना ड़े-
एक शोला एक जलवा और इनमें एक दीवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ ओ गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
मन्ना ड़े-
उसकी क्या है मंजिल नहीं इतना बेखबर भी
आया दिलबरों में तो हैं काफी एक नज़र भी
रफ़ी-
इन नज़रों को यारों क्या जानूँ मैं अंजाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ:ओ: गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
मन्ना डे - रफ़ी
ऊँ ऊँ ऊँ.....आ: आ: आ: ....ला: ला: ला:....
रफ़ी-
क्या-क्या रंग निकले हसीनों की सादगी से
ओ ओ ओ.....
मन्ना डे
इतनी है शिकायत के मिलते हैं अज़नबी से
रफ़ी-
जो ऐसा बेपरवाह क्या उससे दिल उलझाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
मन्ना डे-
ओ: ओ:....
एक जानिब रूहे-जाना
रफ़ी - मन्ना डे
ओ ओ ओ ....
गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ: ओ: गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
9-
ग़ज़ल- तुम एक बार मोहब्बत ..
फ़िल्म - बाबर(1960)
गीतकार - साहिर साहब
संगीतकार - रोशन साहब
गायक - रफ़ी साहब
तुम एक बार मोहब्बत का इम्तिहान ले लो
मेरी जँुनू मेरी वहसत का इम्तिहान ले लो
तुम एक बार मोहब्बत......
सलाम-ए-शौक से रंजिश भरा पयाम न दो
मेरी ख़ुलूस को फ़िरास-ओ-हवास का नाम न दो
मेरी वफ़ा हक़ीक़त का इम्तिहान तो लो
तुम एक बार मोहब्बत......
न तख़्तों -ओ-ताज है न लाला-ओ- गुहर हसरत है
तुम्हारे प्यार तुम्हारी नज़र की हसरत है
तुम अपने हुस्न की अज़मत का इम्तिहान तो लो
तुम एक बार मोहब्बत .......
मैं अपनी जान भी दे दूँ तो एेतबार नही
के तुमसे बढ़के मुझको ज़िन्दगी से प्यार नही
यूँ ही सही मेरी चाहत का इम्तिहान तो लो
तुम एक बार मोहब्बत.....
10-
गैर फ़िल्मी गाना-मेरे लिये तो बस वही पल हैं हसीं बहार के
गीतकार- अन्जान
संगीतकार - श्याम सागर
गायक- मोहम्मद रफ़ी
मेरे लिये तो बस वही पल हैं हसीं बहार के
तुम सामने बैठी रहो मैं गीत गाऊँ प्यार के
मैं गीत गाऊँ प्यार के
मैं जानता हूँ प्यार की पूजा यहाँ अपराध है
अपराध ये हर पल करूँ मन में यही इक साध है
मन में यही इक साध है
मुझको मिली है ये ख़ुशी जीवन की बाज़ी हार के
तुम सामने बैठी रहो मैं गीत गाऊँ प्यार के
मैं गीत गाऊँ प्यार के
सीखा नहीं मैने कभी सैंयम से मन को बांधना
है साधना मेरी तुम्हारे रूप की आराधना
रूप की आराधना
तुम साथ दो तो तोड़ दूँ सारे नियम सन्सार के
तुम सामने बैठी रहो मैं गीत गाऊँ प्यार के
मैं गीत गाऊँ प्यार के
12
गाना - दिल का दर्द निराला.....
फिल्म - कैसे कहंू (1964)
गीतकार - शकील बदायूंनी
संगीतकार - सचिन देव बर्मन
गायक - मोहम्मद रफ़ी साहब
दिल का दर्द निराला , दिल का दर्द निराला..
किसको सुनाऊ कोई नही है, आज समझाने वाला
दिल का दर्द निराला..
खिलते हुए एक फूल को जैसे अपनी महक मालूम न हो
जलते हुए दीप को जैसे अपनी चमक मालूम ना हो..
दिल मे यूही तेरे प्यार का था एक अंजाना उजियाला
दिल का दर्द निराला..
मै हू सनम अपराधी तेरा मौत भी है मंज़ूर मुझे..
पर वोह सज़ा मै सह ना सकूगा कर दे जो तुझसे दूर मुझे
दिल से भुलादे मेरी खताए तोड़ दे घूम का जला
दिल का दर्द निराला..
बिखरे हुऐ हों तार तो कैसें दिल का सुनायें साज़ कोई
दुर हो मन का मित तो कैसें गीत बने आवाज़ कोई..
आजा तुझ बिन सुनी है, रात दिन का रंग है काला
दिल का दर्द निराला..
किसको सुनाऊ कोई नही है, आज समझानें वाला
आ आ आ आ आ........
13-
निगाहों में हंसी सपने सजाने की बहार आई
तुम्हें बाहों में लेकर झुम जाने की बहार आई
तेरे मासूम होंठों पर तव्वसुम है बहारों का ...
हंसी आवाज़ है जैसे तरनुम आवसारों का
तुम्हारी सादगी पर दिल लुटाने की बहार आई
रूख-ए-रंगीन को छु कर हवाऐं हो गई पागल...
मेरी बाहों में ले आई तुम्हारा रेशमी आँचल
फ़िज़ाओं में हंसी आँचल उड़ाने की बहार आई
~~~~~~
फ़िल्म - फिर बहार आई
गीतकार - नक्श लायलपुरी
संगीतकार - कमल राजस्थानी
गायक - रफ़ी साहब / Usha Balsavar
प्रस्तुति-युध्द राज
L-तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन अब न गुजरेंगे-2
जो दिल में आ गई है आज हम वो कर ही गुजरेंगे ,
R-खबर क्या थी के अपने भी सितारे ऐसे बिगड़ेंगे ,
के जो पूजा के काबिल है वही यूँ रंग बदलेंगे ......
तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन .....
L -कई दिन बाद फिर ,यह साज यह सिंगार पाया है
आप यूं इनकार कर देंगे ...
R-तुम्हे कैसे बताएं ,क्या हमारे साथ गुजरी है ,
तुम्हारे ख्वाब टूटेंगे ,अगर सच बात कह देंगे .......
तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन .....
L-तुम्हारी एक न मानेंगे करेंगे आज मनमानी
बहुत तरसाया है तुमने ,नहीं अब और तरसेंगे
R-सताया तो नहीं करते ,कभी किस्मत के मारों को
कीसी की जान जाएगी ,किसी के अरमान निकलेंगे
तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन ....
आ्आआआ.....................
L- मनाया तुम को कितनी बार ,लेकिन तुम नहीं माने
तो अब मजबूर होकर हम ,शरारत पर भी उतरेंगे
R- हकीकत क्या है ये पहले बता देते तो अच्छा था
खुद अपने जाल से भी हम न जाने कैसे निकलेंगे
तुम्हारे बिन गुजारे है कई दिन .......
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फिल्म - आत्माराम(1979)
गीत - विघ्वेश्वर शर्मा
संगीत - शंकर (शंकर-जय किशन)
गायक - लता जी/रफ़ी साहब
2-
या इलाही, या इलाही, या इलाही,या इलाही
एक हसीना ने मचाई है तबाही .. ह्ह्ह्ह्ह्ह्हो
या इलाही...............
उफ़ देखो क्या मचलती चलती है-2
मुड़-मुड़ के दिल मसलती चलती है
इसको बहला गई, उसको तड़पा गई
सबको घायल किया, सबको बहका गई
राहें भुलना ना जायें कही राही राही राही
या इलाही....,
हाये तौबा क्या नज़र में क्या मस्ती है-2
रह रह के वो निगाह डँसतीं है
गौरा-गौरा बदन आरज़ू का चमन
शौक अगड़ाईया मौज गंगो जमन
ज़ुल्फ़ जैसे गुनाहों की सियाही-2
ह्ह्ह्ह्ह्ो.......या इलाही.......
दिलवाले कब सितम से डरतें हैं-2
मरतें हैं फिर भी प्यार करतें हैं
रुक गयें क्यों कदम आ करीब आ सनम
सर पे रख दे तेरे इश्क़ का ताज हम
कर ले दिल पे हमारे बादशाही -2
ह्ह्ह्ह्ह्ो........या इलाही..........
या इलाही, या इलाही, या इलाही,या इलाही
एक हसीना ने मचाई है तबाही .. ह्ह्ह्ह्ह्ह्हो
या इलाही...............
NON फ़िल्मी गीत
गीतकार -------
संगीतकार - मदन मोहन साहब
गायक - रफ़ी साहब
3-
गाना - जिसका दर्शन करने को सुरज निकलता है..
फ़िल्म - कारण (1980)
गीतकार - इन्दवीर
संगीतकार - उषा खन्ना
गायक - रफ़ी साहब
जिसका दर्शन करने को सुरज निकलता है वो तुम हो....
जिसकी चमक चुराने को ये चाँद मचलता है वो तुम हो..
वो तुम हो.......वो तुम हो.......वो तुम हो.....
नज़र मिल जब तुमसे जब कोई और नज़र ना आया
तुम्हें बनाकर रब ने अपना सुन्दर रूप दिखाया
जिसके सामने आने को दर्पण तड़पता है वो तुम हो-2
वो तुम हो....... वो तुम हो.......वो तुम हो.....
जिसका दर्शन करने को सुरज निकलता है, वो तुम हो....
जिसकी चमक चुराने को ये चाँद मचलता है, वो तुम हो..
वो तुम हो.......वो तुम हो.......वो तुम हो.....
चाल से ताल निकलते है संगीत बसा बतों में...
किस्मत लिख सकती हो तुम वो कला छुपी हाथों में
जिससे हाथ मिलाने को हर कोई तरसता है वो तुम हो-2
वो तुम हो.......वो तुम हो.......
जिसका दर्शन करने को सुरज निकलता है.....
4-
गाना- हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो...
फ़िल्म - बदतमीज़ (1964)
गीतकार - हसरत जयपुरी साहब
संगीतकार - शंकर जयकिशन
गायक - रफ़ी साहब
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो, तुम्हारा सजिदा नही करेंगे ..
मगर मोहब्बत मैं हुक्म दोगे तो ये हँसते हँसते ये जाँ भी देगें
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो...
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो, तुम्हारी नज़रोें...
समझते हो ख़ुद को जाने क्या तुम, की सारी दुनिया को खाख जाना..
ग़ुरूर का सर झुकेगा इक दिन, हंसेगा तुम पर भी ये जमाना..
हमेशा ये सीन नही रहेगा, हमेशा ये दिन नही रहेंगे
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो.....
हमारी नज़रों का सुखर कीजिएे, की आसमाँ पर तुम्हें बैठाया....2
हमारे दिल को दुआएँ दीजिए, की धड़कनों मैं तुम्हें बैठाया
बुलंदियों से गिरोगे तुम भी , अगर निगाहों से हम गिरेंगें
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो.....
हमारे जैसे अगर है लाखों, तुम्हारे जैसे भी कम नही हैं..2
जो ख़ुद ही पत्थर से फोड़ ले सर वो और होंगे वो हम नही.
नही मोहब्बत मैं मर सके भला वो जी कर ही क्या करेगा
हसीन हो तुम ख़ुदा नही हो.....
5-
गाना - बा-होशो-हवास में दीवाना ये
फ़िल्म - नाइट इन लंदन(1960)
गीतकार - आनन्द बख्शी
संगीतकार - लक्ष्मी-प्यारे
गायक - रफ़ी साहब
बा-होशो-हवास में दीवाना ये..
ये आज बशियत करता हूं..
ये दिल, ये जान मिले तुमको..
मैं तुम से मोहब्बत करता हूं...
मेरे जीते-जी यार तुम्हे,
मेरी सारी जागीर मिले,
वो ख्वाब जो मैने देखें है,
उन ख़्वाबों की ताबीर मिले
हर एक तमन्ना के बदले,
मैं आज ये हसरत करता हूं
ये दिल, ये जान मिले तुमको
मैं तुम से मोहब्बत करता हूं...
मेरी आँखों मैं नींद नही,
मेरे होंठों पे प्यास नही
हर चीज़ तुम्हारी नाम हुई,
अब कुछ भी मेरे पास नही
तुमने तो लुट लिया मुझको
मैं तुमसे शिकायत करता हूं
ये दिल, ये जान मिले तुमको
मैं तुम से मोहब्बत करता हूं...
6-
सरे महफ़िल मेरा ईमान बेईमान हो..
फ़िल्म - अब क्या होगा(1977)
गीतकार -सावन कुमार
संगीतकार - उषा खन्ना
गायक - रफ़ी साहब / आशा जी
R- स'रे महफ़िल मेरा ईमान बेईमान हो गया, हो यारों अब क्या होगा यारों अब क्या होगा
मेरा कातिल मेरे घर में मेरा मेहमान हो गया,
हो यारों अब क्या होगा यारों अब क्या होगा
A- वहीं होगा जो मंजुरे खुदा होगा, खुदा होगा
R-हो यारो अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
जमीन पर पांव मत रखना, कहीं मेंला ना हो जाए
ना जाना चाँदनी में ये बदन मेंला ना हो जाए
खुदा भेज दें जनत से तू अपनी बहारों को
सजादे आसमान तू राह में इनकी सितारों को
शरीक ऐ जिदंगी होना तेरा एहसान हो गया
हो यारो अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
A-वहीं होगा जो मंजुरे खुदा होगा, खुदा होगा
R-हो यारो अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
A-नहीं थे हम किसी काबिल जगह दे दी हमें दिल में
करें हम शुक्रिया कैसे की रख ली लाज महफिल में
ना फूलों की तमन्ना है, ना चाहत है सितारों की
तुम्हारे प्यार के आगे जरुरत क्या बहारों की
तुम्हारे बाहों में रहना मेरा अरमान हो गया
R-हो यारो अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
A-वहीं होगा जो मंजुरे खुदा होगा, खुदा होगा
R-हो यारो अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
जमीन की तुम नहीं लगती, कहां से आई हो बोलो
मेरी जन हुस्न परियों का, कहां से लायी हो बोलो
A-खुदा ने खुद बनाया हैं हमें तो आपकी खातिर
गज़ल मुझको बनाया हैं बनाकर आपको शायर
मिलन पर जानेमन अपना खुदा हैरान हो गया
R-हो यारों अब क्या होगा, यारों अब क्या होगा
सारे महफ़िल मेरा ईमान बेईमान हो गया, हो यारों अब क्या होगा यारों अब क्या होगा
मेरा कातिल मेरे घर में मेरा मेहमान हो गया, हो यारों अब क्या होगा यारों अब क्या होगा
7-
ओ मेरी लाड़ली प्यारी बहना रानी बहना ...
तु मेरे होते हुऐ आँसू ओ मैं नही बहना ....
कंचन- ओ मान लिया मैने तेरा कहना यही कहना तेरी बहना
रफ़ी- बहना ओ मेरी लाड़ली प्यारी बहना रानी बहना
जाने कब का पुन: उदय हो आया जो मैने
मन्दिर ये जैसा घर पाया..
कचन- जिस दिन तेरे पाँव पड़े इस घर मैं मन्दिर से बन गया पग पलभर में यें घर
रफ़ी- मेरी कसम
कचन- तेरी कसम
रफ़ी- ओ जिया कहे अब तो यही रहना
कचन - यही कहना फिर कहना
रफ़ी-ओ मेरी बहना लाड़ली प्यारी बहना बहना
रानी बहना...
मुझको दे दो सारे काम अधुरे
तुम सपने देखो में करू सपने पुरे
कचन- तु हर माँ पाप का सपना होगा
नही तेरे जितना कोई अपना होगा
रफ़ी- मेरी कसम
कचन- तेरी कसम
रफ़ी - ओ मैं सदा तेरा मानूँगा कहना
कचन - यही कहना फ़िर कहना
रफ़ी-ओ मेरी लाड़ली प्यारी बहना
आज न जाने क्या से क्या हो जाता
ये रक्षाबन्धन बन गया जिवन दाता
कंचन- जिसको तरसी अब वो प्यार मिला है
मुझे राखी का असली हक़दार मिला है
रफ़ी- मेरी कसम
कचन- तेरी कसम
ओ देर ना कर राखी अभी पहना दे
कचन - यही कहना फ़िर कहना
रफ़ी - बहना
कंचन- में तेरी लाड़ली प्यारी बहना
रानी बहना
रफ़ी- तु मेरे होते हुऐ आँसू ओ मैं नही बहना ...
8-
गाना - एक जानिब शम्मे-महफ़िल
फ़िल्म - अभिलाषा (1968)
गीतकार - मज़रूह सुल्तानपुरी
संगीतकार - राहुल देव बर्मन
गायककार - रफ़ी- मन्ना डे़
रफ़ी
आ आ आ ...एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल...
मन्ना डे-
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ ओ गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल....
रफ़ी-
एक सू एक शोला चरागों की अंजुमन में
एक सू रंगे-जलवा किसी बुत के बांकपन में
मन्ना ड़े-
एक शोला एक जलवा और इनमें एक दीवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ ओ गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
मन्ना ड़े-
उसकी क्या है मंजिल नहीं इतना बेखबर भी
आया दिलबरों में तो हैं काफी एक नज़र भी
रफ़ी-
इन नज़रों को यारों क्या जानूँ मैं अंजाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ:ओ: गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
मन्ना डे - रफ़ी
ऊँ ऊँ ऊँ.....आ: आ: आ: ....ला: ला: ला:....
रफ़ी-
क्या-क्या रंग निकले हसीनों की सादगी से
ओ ओ ओ.....
मन्ना डे
इतनी है शिकायत के मिलते हैं अज़नबी से
रफ़ी-
जो ऐसा बेपरवाह क्या उससे दिल उलझाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
मन्ना डे-
ओ: ओ:....
एक जानिब रूहे-जाना
रफ़ी - मन्ना डे
ओ ओ ओ ....
गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
एक जानिब रूहे-जाना
ओ: ओ: गिरता है देखें कहाँ परवाना
एक जानिब शम्मे-महफ़िल
9-
ग़ज़ल- तुम एक बार मोहब्बत ..
फ़िल्म - बाबर(1960)
गीतकार - साहिर साहब
संगीतकार - रोशन साहब
गायक - रफ़ी साहब
तुम एक बार मोहब्बत का इम्तिहान ले लो
मेरी जँुनू मेरी वहसत का इम्तिहान ले लो
तुम एक बार मोहब्बत......
सलाम-ए-शौक से रंजिश भरा पयाम न दो
मेरी ख़ुलूस को फ़िरास-ओ-हवास का नाम न दो
मेरी वफ़ा हक़ीक़त का इम्तिहान तो लो
तुम एक बार मोहब्बत......
न तख़्तों -ओ-ताज है न लाला-ओ- गुहर हसरत है
तुम्हारे प्यार तुम्हारी नज़र की हसरत है
तुम अपने हुस्न की अज़मत का इम्तिहान तो लो
तुम एक बार मोहब्बत .......
मैं अपनी जान भी दे दूँ तो एेतबार नही
के तुमसे बढ़के मुझको ज़िन्दगी से प्यार नही
यूँ ही सही मेरी चाहत का इम्तिहान तो लो
तुम एक बार मोहब्बत.....
10-
गैर फ़िल्मी गाना-मेरे लिये तो बस वही पल हैं हसीं बहार के
गीतकार- अन्जान
संगीतकार - श्याम सागर
गायक- मोहम्मद रफ़ी
मेरे लिये तो बस वही पल हैं हसीं बहार के
तुम सामने बैठी रहो मैं गीत गाऊँ प्यार के
मैं गीत गाऊँ प्यार के
मैं जानता हूँ प्यार की पूजा यहाँ अपराध है
अपराध ये हर पल करूँ मन में यही इक साध है
मन में यही इक साध है
मुझको मिली है ये ख़ुशी जीवन की बाज़ी हार के
तुम सामने बैठी रहो मैं गीत गाऊँ प्यार के
मैं गीत गाऊँ प्यार के
सीखा नहीं मैने कभी सैंयम से मन को बांधना
है साधना मेरी तुम्हारे रूप की आराधना
रूप की आराधना
तुम साथ दो तो तोड़ दूँ सारे नियम सन्सार के
तुम सामने बैठी रहो मैं गीत गाऊँ प्यार के
मैं गीत गाऊँ प्यार के
12
गाना - दिल का दर्द निराला.....
फिल्म - कैसे कहंू (1964)
गीतकार - शकील बदायूंनी
संगीतकार - सचिन देव बर्मन
गायक - मोहम्मद रफ़ी साहब
दिल का दर्द निराला , दिल का दर्द निराला..
किसको सुनाऊ कोई नही है, आज समझाने वाला
दिल का दर्द निराला..
खिलते हुए एक फूल को जैसे अपनी महक मालूम न हो
जलते हुए दीप को जैसे अपनी चमक मालूम ना हो..
दिल मे यूही तेरे प्यार का था एक अंजाना उजियाला
दिल का दर्द निराला..
मै हू सनम अपराधी तेरा मौत भी है मंज़ूर मुझे..
पर वोह सज़ा मै सह ना सकूगा कर दे जो तुझसे दूर मुझे
दिल से भुलादे मेरी खताए तोड़ दे घूम का जला
दिल का दर्द निराला..
बिखरे हुऐ हों तार तो कैसें दिल का सुनायें साज़ कोई
दुर हो मन का मित तो कैसें गीत बने आवाज़ कोई..
आजा तुझ बिन सुनी है, रात दिन का रंग है काला
दिल का दर्द निराला..
किसको सुनाऊ कोई नही है, आज समझानें वाला
आ आ आ आ आ........
13-
निगाहों में हंसी सपने सजाने की बहार आई
तुम्हें बाहों में लेकर झुम जाने की बहार आई
तेरे मासूम होंठों पर तव्वसुम है बहारों का ...
हंसी आवाज़ है जैसे तरनुम आवसारों का
तुम्हारी सादगी पर दिल लुटाने की बहार आई
रूख-ए-रंगीन को छु कर हवाऐं हो गई पागल...
मेरी बाहों में ले आई तुम्हारा रेशमी आँचल
फ़िज़ाओं में हंसी आँचल उड़ाने की बहार आई
~~~~~~
फ़िल्म - फिर बहार आई
गीतकार - नक्श लायलपुरी
संगीतकार - कमल राजस्थानी
गायक - रफ़ी साहब / Usha Balsavar
प्रस्तुति-युध्द राज
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