इतनी हसीन इतनी जबां रात क्या करें
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें
साँसों मैं घुल रही है किसी साँसों की महक
दामन को छू रहा है कोई हाथ क्या करें
शायद तुम्हारे आनें से ये भेद खुल सके
हैरान है की आज नई बात क्या करें
फ़िल्म- आज और कल
संगीत - रवि साहब
ग़ज़ल -साहिर लुधियानवी
गायक - रफ़ी साहब
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