बुधवार, 23 नवंबर 2016

इतनी हसीन इतनी जबां रात क्या करें
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें

साँसों मैं घुल रही है किसी साँसों की महक
दामन को छू रहा है कोई हाथ क्या करें

शायद तुम्हारे आनें से ये भेद खुल सके
हैरान है की आज नई बात क्या करें

फ़िल्म- आज और कल
संगीत - रवि साहब
ग़ज़ल -साहिर लुधियानवी 
गायक - रफ़ी साहब

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