बुधवार, 23 नवंबर 2016

अरे हंस ने वालों कभी ये भी सोचो
जिन्हें प्यार मिलता नही जितें है कैसे ..
अरे हंस ने वालों कभी ये भी सोचो
जिन्हें प्यार मिलता नही जितें है कैसे ..

साथ जिये साथ मरे दिल ने कभी चाहा था
प्यार मिले प्यार करें ऐसा कभी सोचा था
दिल को किसी ने तोड़ा अपना बनाके छोड़ा 
उतना हमें रोना पड़ा जितने हंसी सपना था
अरे हंस ने वालों....

जिनको मिली दिल की खुशी,खुशीयां मना सकते है ...
अपने  ये ग़म दुनिया को हम कैसे सुना सकते हैं
सपने सजाने वालो हसने हँसाने वालो ...
ओओ इधर ज़ख़्में जिगर तुमको दिखा सकते हैं!!

अरे हंस ने वालों कभी ये भी सोचो
जिन्हें प्यार मिलता नही जितें है कैसे ..
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फ़िल्म - परवाना(1971)
गीतकार - कैफ़ी आज़मी साहब
संगीतकार - मदनमोहन साहब
गायक -रफ़ी साहब

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