बुधवार, 23 नवंबर 2016

ख़ुशबू हूँ मै फ़ूल नही हूँ जो मुरझाऊँगा 
ख़ुशबू हूँ मै फ़ूल नही  हूँ जो मुरझाऊँगा 
जब जब मौसम लहरायेगा, मै आ जाऊँगा 
ख़ुशबू हूं मै फ़ूल नही.....
मेरी सूरत कोई नहीं हर चेहरा मेरा चेहरा है
भीगा सावन सूना आँगन हर आईना मेरा है 
जब जब कली खिलेगी कोई मै मुस्काऊँगा-२
मै आ जाऊँगा
ख़ुशबू हूँ मै फ़ूल नही हूँ जो मुरझाऊँगा 
शाम का गहरा सन्नाटा जब दीप जलाने आएगा
मेरा प्यार तुम्हारी सूनी बाँहों में घबराएगा
मै ममता का आँचल बन कर -२
लोरी  गाऊँगा मै आ जाऊँगा
मै आ जाऊँगा ....
जब भी मेरी याद सताये फ़ूल खिलाती रहना
मेरे गीत सहारा देंगे इनको गाती रहना
मैं अनदेखा तारा बनकर राह दिखाऊँगा 
मैं आ जाऊँगा .....
ख़ुशबू हूँ मैं फ़ूल नही हूँ जो मुरझाऊँगा 
ख़ुशबू हूँ मैं फ़ूल नही  हूँ जो मुरझाऊँगा 
जब जब मौसम लहरायेगा, मैं आ जाऊँगा 
ख़ुशबू हूँ मैं फ़ूल नही.....
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फ़िल्म - शायद -(1979)
गीत - नीदा फ़ाज़ली साहब
संगीत -मानस मुख़र्जी  
गायक - रफ़ी साहब 

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