जाॅन आॅलिया (एलिया)/क़त्आ:
चाँद की पिघली हुई चाँदी में
ओओ कुछ रंग-ए-सुख़न घोलेंगे
तुम नही बोलती हो मत बोलो
हम भी तुम से नही बोलेंगे
~~~~~~~~
है मोहब्बत हयात की लज़्ज़त
वर्ना कुछ लज़्ज़त-ए-हयात नही
क्या इज्ज़ात है एक बात कहूँ
वो मगर ख़ैर कोई बात नही
~~~~~~~~~~
जो हक़क़ीत है उसे हक़क़ीत से
दूर मत जाओ लौट भी आओ
हो गई फिर किस ख़याल में गुम
तुम मिरी आदतें न अपनाओ
~~~~~~~~~~
पसीने से मिरे अब तो ये रूमाल
है नक़्द-ए-उल्फ़त का ख़जीना
ये रूमाल मुझे को बख़्श दीजे
नही तो लाइए मेरे पसीना
~~~~~~~~~
मिरी जब भी नज़र पड़ती है तुझ पर
मिरी गुलफ़म जान-ए-दिल-रूबाई
मिरी जी में ये आता है कि मल दूँ
तिरे गालों पे नीली रोशीनाई
~~~~~~~~~
वो किसी दिन न आ सके पर उसे
पास वादे को हो निभाने का
हो बसर इंतिज़ार में हर दिन
दूसरा दिन हो उस के आने का
~~~~~~~
जाॅन आॅलिया (एलिया)
चाँद की पिघली हुई चाँदी में
ओओ कुछ रंग-ए-सुख़न घोलेंगे
तुम नही बोलती हो मत बोलो
हम भी तुम से नही बोलेंगे
~~~~~~~~
है मोहब्बत हयात की लज़्ज़त
वर्ना कुछ लज़्ज़त-ए-हयात नही
क्या इज्ज़ात है एक बात कहूँ
वो मगर ख़ैर कोई बात नही
~~~~~~~~~~
जो हक़क़ीत है उसे हक़क़ीत से
दूर मत जाओ लौट भी आओ
हो गई फिर किस ख़याल में गुम
तुम मिरी आदतें न अपनाओ
~~~~~~~~~~
पसीने से मिरे अब तो ये रूमाल
है नक़्द-ए-उल्फ़त का ख़जीना
ये रूमाल मुझे को बख़्श दीजे
नही तो लाइए मेरे पसीना
~~~~~~~~~
मिरी जब भी नज़र पड़ती है तुझ पर
मिरी गुलफ़म जान-ए-दिल-रूबाई
मिरी जी में ये आता है कि मल दूँ
तिरे गालों पे नीली रोशीनाई
~~~~~~~~~
वो किसी दिन न आ सके पर उसे
पास वादे को हो निभाने का
हो बसर इंतिज़ार में हर दिन
दूसरा दिन हो उस के आने का
~~~~~~~
जाॅन आॅलिया (एलिया)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें