शनिवार, 13 जून 2015


गाना - भीगे हुऐ आँचल से समेटो ना बदन को
फ़िल्म - तन्हाई (1970)
गीतकार- अमन
संगीतकार - उषा खन्ना
गायक - किशोर दा

भीगे हुऐ आँचल से समेटो ना बदन को
सावन में कही आग न लग जाये चमन को
भीगे हुऐ आँचल से..,
ये हुस्न ये शबनम ये बहारें ये जवानी
ऐ हुस्न ये शबनम ये बहारें ये जवानी
बहता हुआ देखा है यहीं आग पे पानी
है ले जाऊ ऐसे में कहाँ दिल की जलन को
सावन में कही आग न लग...

उलझी हुई साँसें है धड़कता हुआ सीना
ऐ उलझी हुई साँसें है धड़कता हुआ सीना
  होंठों पे दबी बात है माथे पे पसीना
ऐ है खिलती है कलि देख के नाज़ुक से दहन को
सावन में कही आग न लग जाये चमन को
भीगे हुऐ आँचल से..,

ये मधभरी तन्हाई ये तन्हाई का जादू
ऐ मधभरी तन्हाई ये तन्हाई का जादू
ऐसे में भला कैसे हो ज़ज्बात पे क़ाबू
ऐ रंगी बना लो इसी पलभर के मिलन को
सावन में कही आग न लग जाये चमन को
भीगे हुऐ आँचल से..,

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