1975 में बनी पाकिस्तानी फ़िल्म 'बेगम जाने'के लिये क़तिल साहब ने ये ग़ज़ल लिखी थी, जिससे गुलाम अब्बास साहब ने गाया था और संगीतकार थे ए.हमीद साहब
ए दोस्त तेरी आँख नम है तो मुझे क्या
मैं खूब हँसूँगा तुझे ग़म है तो मुझे क्या
मैने तो दबा रखे हैं , जज़्बात में शोले
क़ायम तेरा अश्कों से भ्रम है तो मुझे क्या
पूजा है सदा मैने ग़रीबों के ख़ुदा को
तेरा कोई पत्थर का सनम है तो मुझे क्या
नासेह जहाँ माओं के तरसते है कफ़न को
उस शहर में सर तेरा भी ख़म है तो मुझे क्या
जब जिन्दा लोग मौत की राहों पे चल पडे
इतना हंसों के आँख से आँसू निकल पडे
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