साए घटते जाते है
जंगल कटते जाते है
कोई सख़्त वज़ीफ़ा है
जो हम रटते जाते है
सुरज के आसार है देखो
बादल घटते जाते है
आस पास के सारे मंज़र
पीछे हटते जाते है
देखो "मुनीर" बहार में गुलशन
रंग से अटते जाते है
मुनीर नियाज़ी
जंगल कटते जाते है
कोई सख़्त वज़ीफ़ा है
जो हम रटते जाते है
सुरज के आसार है देखो
बादल घटते जाते है
आस पास के सारे मंज़र
पीछे हटते जाते है
देखो "मुनीर" बहार में गुलशन
रंग से अटते जाते है
मुनीर नियाज़ी
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