शनिवार, 13 जून 2015

याद पर शे'र

1-कहीं पर भी रहें हम तुम मोहब्बत फिर मोहब्बत है ...
तुम्हेँ हम याद आयेंगे हमें तुम याद आओगे
-नज़ीर बनारसी

2-लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
यों याद तेरी शब भर सीने में सुलगती है
-बशीर साहब

3-उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो।
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाए।
-बशीर साहब

3-दौर  अपनी  खुश-दर्दी  रात  बहुत  ही  याद आया
  अब जो किताबे शौक निकाली सारे वरक बरहम निकले

-जाॅन एलिया

4-उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा,
यूँ  ही  मेरे  बाल  हैं  बिखरे  और  बिखर  जाते  होंगे
-जाॅन एलिया

5-याद हैं अब भी अपने ख्वाब तुम्हें
मुझ से मिलकर उदास भी हो क्या
-जाॅन एलिया

6-नहीं आती तो याद उनकी महीनों भर नहीं आती ...
मगर जब याद आते हैं, तो अक्सर याद आते हैं ....
-हसरत मोहानी

7-तुम गै़र के घर बैठ के दिल शाद करोगे
हम कौन है साहेब, हमें क्यों याद करोगे
-मीर "इश्क़"

8-क्या सानेहा याद आया 'रज़्मी' की तबाही का,
क्यों आपकी नाज़ुक सी आँखों में नमी आई।
-मुज़फ़्फ़र रज्मी

9-मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखा
उस को छुट्टी न मिली जिसको सबक़ याद हुआ
-मीर ताहिर अली रिज़वी

10-बरसात की भीगी रातों में फिर कोई सुहानी याद आई
कुछ अपना ज़माना याद आया, कुछ उनकी जवानी याद आई
-क़तील शिफ़ाई

11-हम भी क्या पागल थे अपने प्यार की सारी पूँजी
उसकी इक इक याद बचा कर पीछे छोड़ आए है
-सईद कैस

12-फिर याद बहुत आयेगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा
-बशीर साहब

13-याद अब ख़ुद को आ रहे हैं हम..
कुछँ दिनों तक रहे हैं हम...
-बशीर साहब

14-किसी की याद में पलकें ज़रा भिगो लेते
उदास  रात  की   तन्हाई में  रो लेते
-बशीर साहब

15-आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना
वो बाग़ की बहारें वो सब का चह-चहाना
-अल्लामा इक़बाल

16-लगती हो चोट दिल पर, आता है याद जिस दम
शबनम के आँसूओं पर कलियों का मुस्कुराना
-अल्लामा इक़बाल

17-मैं अपने दिल से निकालूँ ख़्याल किस-किस का
जो तू नहीं तो कोई और याद आए मुझे
-क़तील शिफ़ाई

18-आया हूँ याद बाद-ए-फ़ना उनको भी ‘अदम‘
क्या जल्द मेरे सीख पे इमान लाए हैं
-सैयद अब्दुल हमीद 'अदम'

19-कोई पत्थर नहीं हूँ कि जिस शक्ल में मुझको चाहो बनाया बिगाड़ा करो
भूल जाने की कोशिश तो की थी मगर याद तुम आ गए भूलते भूलते

-बशीर बद्र

20-अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं
मेरी याद से जंग फ़रमा रहे हैं
-खुमार बाराबंकवी

21-कहीं गुलाब हूं, और कहीं बबूल में हूं
किसी की याद में हूं और किसी की भूल में हूं
-अताउल 'हक़' क़ासमी

22-लम्हात-ए-मुसर्रत हैं तसव्वुर से गुरेज़ाँ
याद आये हैं जब बागम-ओ-आलम ही आये
-अदा जाफ़री

23-तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
-फ़ैज़ साहब

24-दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
-फ़ैज़ साहब

25-आप की याद आती रही रात भर
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर''
-फ़ैज़ साहब

26-रश्क़ से नाम नहीं लेते कि सुन ले न कोई
दिल ही दिल में हम उसे याद किया करते हैं
-नासिख़

27-जाते हो ख़ुदा हाफ़िज़, हाँ इतनी गुज़ारिश है,
जब याद हम आ जाएँ, मिलने की दुआ करना।
-जलील मानिकपुरी

28-कहीं ये अपनी मुहब्बत की इंतिहा तो नहीं
बहुत दिनों से तिरी याद भी नहीं आई
-अहमद राही

29-ऐसा लगता है कि कर देगा अब आज़ाद मुझे
मेरी मर्ज़ी से उड़ाने लगा है सैयाद मुझे
एक क़िस्से की तरह वह तो मुझे भूल गया
इक कहानी की तरह वह है याद मुझे
-मुनव्वर राना

30-चेहरा ओ नाम एक साथ आज न याद आ सके
वक़्त ने किस शबीह को ख़्बाव-ओ-ख्याल कर दिया
-परवीन शाकिर

31-ऐ जान तेरी याद के बे-नाम परिंदे
शाखों पे मेरे दर्द की उतरेंगे किसी दिन
-अमजद इस्लाम अमजद

32-ज़मीं का होश रहा और न आसमाँ की ख़बर
किसी की याद में दोनों जहान भूल गए
-राजेश रेड्डी

33-एक मुद्दत से तेरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
-फ़िराक़ गोरखपुरी

34-ग़रज़ कि काट दिये ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
-फ़िराक़ गोरखपुरी

35-याद उसकी इतनी ख़ूब नहीं 'मीर', बाज़ आ
नादान ! फिर वो जी से भुलाया न जाएगा
- मीर तक़ी मीर

36-हम ही में थी न कोई बात, याद न तुम को आ सके
तुमने हमें भुला दिया, हम न तुम्हें भुला सके
-हफ़ीज़ जालंधरी

37-कहीं ये अपनी मुहब्बत की इंतिहा तो नहीं
बहुत दिनों से तिरी याद भी नहीं आई

-अहमद राही

38-याद उसे भी एक अधूरा अफ़साना तो होगा
कल रस्ते मेंं उसने हमको पहचाना तो होगा
-जावेद अख़्तर

39-   फ़िक्र-ए-मआश-ओ-इश्क़-ए-बुताँ याद-ए-रफ़्तगाँ
इन मुश्किलों से अहद-बरआई न हो सकी

(फ़िक्र-ए-मआश = आजीविका/ कमाई की चिंता), (इश्क़-ए-बुताँ = महबूब से प्रेम), (याद-ए-रफ़्तगाँ = गुज़री हुई यादें), (अहद-बरआई = वादा निभाना)                                              
-तिलोक चंद 'महरूम'

40-अब याद-ए-रफ़्तगाँ की भी हिम्मत नहीं रही
यारों ने इतनी दूर बसा ली हैं बस्तियाँ
-फ़िराक़ गोरखपुरी

41-जब तुझे याद कर लिया, सुबह महक महक उठी
जब तेरा ग़म जगा लिया, रात मचल मचल गई

-फ़ैज़ साहब

42-उठा लाया हूँ सारे ख़्वाब अपने ...
तिरी यादों के बोसीदा मकाँ से
-रसा चुग़ताई



43-उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद
    कट     रही     है    ज़िन्दगी   आराम  से
-महशर इनायती

44-उस को भूले तो हुए हो 'फ़ानी'
क्या करोगे अगर वो याद आया
-फ़ानी बदायूंनी

45-कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज   तुम   याद   बे-हिसाब   आए

-फ़ैज़ साहब

46- क्या सितम है अब तिरी सूरत
ग़ौर  करने  पे  याद  आती  है
-जाॅन एलिया

47- ग़रज़ के काट दिए ज़िन्दगी के दिन ए दोस्त
  वो  तेरी  याद  में  हो  या  तुझे  भूलाने  में
-फ़िराक़ गोरखपुरी

48-ज़रा सी बात सही तेरी याद आ जाना
     ज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी
-नासिर काज़मी

49-जिसको तुम भूल गए याद करें कौन उस को
     जिसको तुम याद हो वो और किसे याद करे
-जोश मलसियानी

50-तुम ने  किया न याद कभी भुल कर  हमें
      हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भूला दिया
-बहादुर शाह ज़फ़र

51-दिल धड़कने का सबब याद आया
      वो तिरी याद थी अब याद आया
-नासिर क़ाजमी

52- नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नही आती
      मगर जब याद आते है, तो अक्सर याद आते है
-हसरत मोहानी

53- मुझे  याद  करने  से  ये  मुद्दआ  था
      निकल जाए दम हिचकियाँ आते आते
-दाग

54-मुद्दतें गुज़री तिरी याद भी न आई हमें
और हम भूल गये हो तुझे ऐसा भी नही
- फ़िराक़ गोरखपुरी

55-याद उस की  इतनी खूब नही 'मीर' बाज आ
      नादान  फ़िर  वो  जी  से भुलाया न जाएगा
-मीर तकी 'मीर'

56-याद करना हर घड़ी तुझ यार का
     है वज़ीफ़ा मुझ दिल-ए-बिमार का
-वली मोहम्मद 'वली'

57-याद रखना ही मोहब्बत में नही सब कुछ
     भूल  जाना  भी  बड़ी बात हुआ करती है
-जमाल एहसानी

58-याद-ए-माज़ी अज़ाब है या-रब
      छीन ले मुझँ से हाफ़िज़ मेरा
-अख़्तर अंसारी

59-वही फिर मुझे याद आने लगे है
     जिन्हें भूलने में ज़माने लगे है
-ख़ुमार बाराबंकवी

60- एक याद है कि छीन रही है लबों से जाम.
      एक अक्स है कि काँप रहा है शराब में
-शकेब ज़ालिब

61-याद के फेर में आ कर दिल पर एसी कारी चोट लगी
   दुःख में सुख है सुख में दुःख है भेद ये न्यारा भूल गया
-सनाउल्लाह खान”मीरा-जी”
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75-
हो तेरी याद का दिल में ग़ुजर आहिस्ता-आहिस्ता ...
कर ये चाँद सहरा में सफ़र आहिस्ता-आहिस्ता ...
-हसन अकबर

76-
याद का फूल सर-ए-शाम खिला तो होगा ...
जिस्म मानूस सी ख़ुशबू में बसा होगा ...
-हसन नईम
77-
जाईका मौता का बस याद दिला देता है ...
क्या क़यामत है ये कहना तिरा हम भूल गए

78-
याद रखने की ये बातें है बज़ा है सच है ...
आप भूले न हमें आप को हम भूल गए ...
-हातिम अली मेहर

79-
रह-रह के कौंदती है अंधेरे में बिजलियाँ ...
तुम याद कर रहे हो कि याद आ रहे हो तुम ...
-हैरत गोंडवी

86-जिसे देखा नही रोता हुआ उस की याद में शब्-भर
जिसे पाया नही उस को गँवा कर देख लेता हूँ
-नज़ीर क़ैसर

87-क्यूँ मिली थी हयात याद करो
याद रखने की बात याद करो
-नौशाद साहब

88-अभी कल तक  वफ़ा की रहों में
तुम भी थे मेरे साथ याद करो
-नौशाद साहब

मुझे क्या पुछते हो हाल मिरा
ख़ुद कोई वारदात याद करो
-नौशाद साहब

छोड़ो जाने दो जो हुआ सो हुआ
आज क्यूँ कल की बात याद करें
-नौशाद साहब

करना है अगर शाईरी 'नौशाद'
'मीर' का कुल्लियात याद करो
-नौशाद साहब

89-देखा जो उन्हें सर भी झुकाना न रहा याद
दरअसल नमाज़ आज अदा हमसे हुई है

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