फिर तुम्हारी याद आई ऐ सनम
हम ना भूलेंगे तुम्हें अल्हाह कसम
हम ना भूलेंगे तुम्हें अल्हाह कसम
हाल दिल यार को लिखू कैसे
हाथ दिल से जुदा नही होता
किस तरह उन्हें को बतायें
उनको अपना ग़म ऐ सनम ....,
हम ना भूलेंगे तुम्हें ....
जब से देखी सुरत उनकी
हम शमां जलाना भूल गये
रुख़सार की सुर्खी क्या कहिए
फूल का फँसाना भूल गये
बस इतनी कहानी है अपनी
जब आँख मिल बहोश हुए
दामन तुम से हवा से करन ना सके
हम होश में आना भूल गये
कितने प्यारे है मोहब्बतें के सितम
हम ना भूलेंगे ........
आ आ आ आ........
क्या लुफ़्त आ रहा था.....
दिलवर की दिल्लगी से
नज़रें बिछी मुझे पर परदा भी था मुझी से
क्या हंसी तस्वीर थी अल्लाह कसम ऐ सनम
फिर तुम्हारी याद आई ऐ सनम
हम ना भूलेंगे तुम्हें अल्हाह कसम
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गीतकार - कमर जलालाबादी
संगीतकार - सज्जाद खान
गायक - रफ़ी, मन्ना डे , सदात खान
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