शुक्रवार, 4 मार्च 2016

मंसूर उस्मानी
मुशायरों में जब निज़ामत की बात आती है तो एक नाम उभर के आता जनाब Mansoor Usmani  .. मंसूर साहब की निजामत और शायरी किसी तार्रुफ़ की मोहताज़ नही है 

हालात क्या ये तेरे बिछड़ने से हो गए ....
लगता है जैसे हम किसी मेले में खो गए 


आँख बरस गई तो सुकूँ दिल को मिल गया
बादल तो सिर्फ़ सूखी ज़मीनें भीगो गए

कितनी कहानियाँ से मिला ज़िन्दगी को हुस्न
कितने फ़साने वक़्त की चादर में सो गए

आँखों से नींद रूठी तो नुक़सान ये हुआ 
मेरे हज़ारों ख़्वाब मिरे दिल में सो गए 

'मंसूर' मुद्दतों से मुझे उन की है तलाश
नफ़रत के बीज मेरे चमन में जो बो गए

-मंसूर उस्मानी 
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इश्क़ इज़हार तक नहीं पहुंचा
शाह दरबार तक नहीं  पहुंचा

चारागर  भी  निजात पा लेते
जहर बीमार तक नहीं पहुंचा

मेरी किस्मत की मेरा दुश्मन भी
मेरे   मेयार   तक   नहीं  पहुंचा

उससे बातें तो  खूब  की  लेकिन
सिलसिला प्यार तक नहीं पहुंचा

▪मंसूर उस्मानी
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चाहत दिलों में हो तो.. झलकती जरुर है...
खिलती है जब कली तो.. महकती जरुर है ;

रखिये हज़ार क़ैद .. अमानत को.. इश्क की...
लेकिन ये अश्क बन के .. छलकती जरुर है ;

दामन बचा के लाख .. कोई मौत से चले...
पाजेब जिंदगी की .. खनकती जरुर है ;

छुपती नहीं.. अपने छुपाने से .. चाहतें...
सीने में आग हो तो .. भड़कती जरुर है ;

शाइस्ता-ऐ-मिज़ाजे-मोहब्बत सही .. नज़र...
फिर भी कभी कभी ये .. बहकती जरुर है ;

जाने वो दिल के जख्म है .. या चाहतों के फूल...
रातों को.. कोई चीज़ ... महकती जरुर है ;

'मंसूर' ये मिसाल भी .. है कितनी बेमिसाल...
चिलमन हो या नकाब .... सरकती जरुर है ..."

मंसूर उस्मानी
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हमारे जैसी किसी की उड़ान थोड़ी है 
जहाँ हम है वहां आसमान थोड़ी है

हमारा प्यार महकता है उसकी साँसों में
बदन में उसके कोई ज़ाफ़रान थोड़ी है...
मंसूर उस्मानी

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चाहना जिसको फ़कत उसकी इबादत करना
वरना बेकार है रिश्तों की तिजारत करना

एक ही लफ्ज़ कहानी को बदल देता है
कोई आसां तो नहीं दिल पे  हुकूमत करना

अपने दुश्मन को भी साये में लिए बैठे हैं
हमने पाया है विरासत में मुहब्बत करना......
-मंसूर उस्मानी
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कोई हंसके हंसाके टूट गया, कोई आंसू बहाके टूट गया, 
इतने चेहरे थे उसके चेहरे पर, आईना तंग आके टूट गया...... 
-मंसूर उस्मानी
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बारूद के इक ढेर पे बैठी हुई दुनिया...
शौलों से हिफ़ाज़त का हुनर पूछ रही है....
- मंसूर उस्मानी
Baarood ke ik dher pe baithi hui duniya...
Sholo'n se Hifazat ka hunar poochh rahi hai.....!!!!!

Sir..Mansoor Usmani
 

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