शुक्रवार, 4 मार्च 2016

कुछ प्रसिद्ध शेर और उनकी जड़ें .....

दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिये 
बस एक बार मेरा कहा मान लीजिये 
                                          शहरयार

दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिये 
खंजर को अपने और ज़रा तान लीजिये 

बेशक़ न मानियेगा किसी दूसरे की बात
बस एक बार मेरा कहा मान लीजिये 

मर जायेंगे मिट जायेंगे हम कौम के लिए 
मिटने न देंगे मुल्क, ये एलान लीजिये
'
बिस्मिल` ये दिल हुआ है अभी कौम पर फ़िदा 
अहल-ए-वतन का दर्द भी पहचान लीजिये 
                                      राम प्रसाद 'बिस्मिल `  

   ऊँची इमारतों से मकां मेरा घिर गया
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गये 
                            (जावेद अख्तर)                                  
मेरी कुटिया के मुकाबिल आठ मंजि़ल का मकां,
तुम मेरे हिस्से की शायद धूप भी खा जाओगे !
                             (शबाब मेरठी)

 
 
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाये
                                      (बशीर बद्र)
कफ़न कांधे पे लेकर घूमता हूं इसलिये अर्शी
न जाने किस गली में जिंदगी का शाम हो जाये 
                                     रामपाल अर्शी 
 
ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजे 
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है 
                                     जिगर मुरादाबाद
'बिस्मिल` ऐ वतन तेरी इस राह-ए-मुहब्बत में 
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
                                  राम प्रसाद 'बिस्मिल

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
खो जाये तो मिट्टी है मिल जाये तो सोना है 
                                 निदा फाज़ली
सब वक़्त की बातें हैं सब खेल है किस्मत का   
बिंध जाये तो मोती है रह जाये तो दाना है 
                              राम प्रसाद 'बिस्मिल

तेज़ यूँ ही न थी शब आतिशे-शौक़
थी ख़बर गर्म उनके आने की -मीर तकी मीर

थी ख़बर गर्म उनके आने की 
आज ही घर में बोरिया न हुआ -मिर्ज़ा ग़ालिब

होता है याँ जहां में हर रोज़ो-शब तमाशा
देखा जो ख़ूब तो है दुनिया अजब तमाशा -मीर तकी मीर 

बाज़ी-चा-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे 
होता है शबो-रोज़ तमाशा मेरे आगे -मिर्ज़ा ग़ालिब

कुछ तुम्हारा पता नहीं चलता 
कुछ हमारी खबर नहीं आती – अदम

हम वहाँ हैं जहाँ से हमको भी 
कुछ हमारी खबर नहीं आती - ग़ालिब 

मुहब्बत का दरिया, जवानी की लहरें 
यहीं डूब जाने को जी चाहता है - अमजद नज्मी 

हसीं तेरी आँखें, हसीं तेरे आंसूं 
यहीं डूब जाने को जी चाहता है - जिगर मुरादाबादी

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